मूलांक और भाग्यांक किसे कहते हैं ? 


किसी भी जातक की जन्म तारीख अथवा जन्म तारीख के योग को मूलांक कहा जाता है।
उदाहरण- १. किसी भी जातक की जन्म तारीख ४ = ४ है। अथवा जन्म तारीख १३ (१+३) = ४ है इसे मूलांक कहते हैं।
२. किसी भी जातक की जन्म तारीख महीना और इस्वीसन्‌ सभी के योग जैसे २४.१२.१९७३ है अर्थात्‌ २+४+१+२+१+९+७+३ = २९ (२+९) = ११=१+१=२ को भाग्यांक कहते हैं।

ज्योतिषीय विचार हेतु जब किसी भी जातक की जन्मपत्रिका बनाई जाती है तो जन्मपत्रिका निर्माण की प्रक्रिया में जन्म तारीख जन्म मास जन्म वर्ष, जन्म समय एवं जन्म स्थान की जानकारी के पश्चात्‌ ही, किसी भी प्रकार का ज्योतिषीय विचार संभव हो पाता है।
ज्योतिष में अंक का बहुत बडा महत्व है। ज्योतिष की प्रथम प्रक्रिया गणना ही मानी जाती है। यदि गणित की प्रक्रिया पूरी नहीं हो तो, फलादेश भी संभव नहीं है, अर्थात्‌ ज्योतिष और अंक का सम्बन्ध स्थापित होता है। प्रस्तुत अंक ज्योतिषीय गणना हेतु एक पृथक प्रक्रिया प्रदर्शित करती है, जो पूर्णतः वैदिक गणित, अंक विज्ञान अर्थात्‌ अंक विद्या पर आधारित है, ज्योतिषीय विद्याओं में अंक विज्ञान अर्थात अंक शास्त्र विधान इस प्रकार है।

अंक विधान
अंक विद्या में प्रत्येक अंक के गुण के अनुसार, एक अंक किसी अन्य अंक का मित्र, शत्रु या सम होता है।
अंकों में सबसे छोटी संखया १ तथा सबसे बडी संखया ९ है। उसी प्रकार अंग्रेजी वर्णाक्षर का अंकों से मूल्यांकन होता है, जो प्रस्तुत तालिका से स्पष्ट होता है, इसे स्वामी अंक कहते हैं।

  अंक विवरण तालिका
   वर्णाक्षर             स्वामी अंक         वर्णाक्षर           स्वामी अंक
 A,I,J,Q,Y                1             E,H,N,X              5
 B,K,R                     2             U,V,W                6
 C,G,L,S                  3             O,Z                    7
 D,M,T                    4              F,P                    8
                                                                     9
नौ अंक सबसे श्रेष्ठ है तथा इसे किसी भी वर्णाक्षर का स्वामित्व नहीं मिला। प्रस्तुत अंक तालिका कीरो के सिद्धान्त के अनुसार प्रस्तुत है।

   अंको के मित्र-शत्रु
अंकों के प्रभाव की जानकारी हेतु अंक और ग्रह की निम्नांकित तालिका प्रस्तुत की जाती है।
  अंक   स्वामी ग्रह        मित्रांक           समांक            शत्रु अंक
   १        सूर्य             ४-८            २,३,७,९            ५,६
   २      चन्द्रमा           ७-९            १,३,४,६             ५,८
   ३        गुरु             ६-९             १,२,५,७            ४,८
   ४     हर्षल-राहु         १-८             २,६,७,९             ३,५
   ५       बुध             ३-९             १,६,७,८             २,४
   ६       शुक्र             ३-९             २,४,५,७            १,८
   ७    नेप्चून-केतु        २-६             ३,४,५,८            १,९
   ८      शनि             १-४             २,५,७,९             ३,६
   ९      मंगल            ३-६             २,४,५,८             १,७


  अंक प्रभाव का उदाहरण

BHARAT VARSHA
२,५,१,२,१,४,६,१,२,३,५,१ = ३३ (३+३) = ६

भारतवर्ष का नामांक ६ है अतः ६ संखया से सम्बन्धित मास दिवस वर्ष आदि में शुभाशुभ घटनायें अधिकाधिक होती हैं।
१. अपने देश मे २४-१-१९५० को संविधान लागू = २४ (२+४) =६
२. गाँधी की प्रसिद्ध डंडी यात्रा ६ (अप्रैल) को हुई = ६
३. अपना देश भारत स्वतंत्र हुआ १५ (अगस्त १९४७) = ६
४. पं. जवाहर लाल नेहरू देश के प्रथम प्रधान मंत्री बनें १५(अगस्त १९४७)=६
५. डा. राजेन्द्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति चुने गए २४ ( जनवरी १९५०) = ६
६. सरदार बल्लभ भाई पटेल का निधन १५ (दिसम्बर १९५०) = ६
७. भारत पाक का प्रथम युद्ध हुआ ६.९.१९६५ = ६
८. श्रीमती इन्दिरा गाँधी प्रधानमंत्री बनी २४.१.१९६६ = ६
९. श्री वी.वी. गिरि भारत के राष्ट्रपति बने २४.८.१९६९ = ६
१०. डॉ. फखरूद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति बने २४.८.१९७४ = ६
११. मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली २४.१.१९७७ = ६
१२. भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ ६.४.१९८० = ६
१३. आचार्य विनोवा भावे का निधन १५.११.१९८२ = ६
१४. मोरारजी देसाई भारत रत्न बनें २४.८.१९९१ = ६
१५.जलियांवाला अग्निकाण्ड हरियाणा (४०० बच्चो की मृत्यु) २४.१२.१९९५ = ६
१६. पटना उच्च न्यायालय में लालू यादव की अर्जी, नामंजूर २४.७.१९९७ = ६
१७. काठमाण्डू से इंण्डियन एयर लाइन्स के एयर बस सहित १८९ यात्री का अपहरण २४.१२.१९९१ = ६

१८. उड़ीसा में ईसाईयों को जिन्दा जलाया गया २४.१.१९९९ = ६
१९. कारगिल में सेना द्वारा चार प्रमुख चोटियों पर कब्जा ६.७.१९९९ = ६
२०. काठमाण्डू नई दिल्ली जाने वाले विमान को कांधार ले गए २४.१२.१९९९ =६

         उपरोक्त सभी घटनाएँ अंक ६ की विशेषता को दर्शाती हैं।