लालकिताब के द्वारा देखी जाने वाली योगद्रिष्टि


ग्रहों तथा भावों की लालकिताब के अनुसार एक योगद्रिष्टि भी होती है,जब किसी भाव या ग्रह पर किसी प्रकार की आफ़त आती है,तो उसकी निगाह अन्य भावों पर जाती है,और अन्य भावों की नजर या ग्रहों की नजर आफ़त वाले भाव पर पडती है,इस प्रकार से लालकिताब के द्वारा आफ़त के समय मिलने वाली सहायता का पता किया जा सकता है,यह सहायतायें इस प्रकार से मिलती हैं:-

  • पारस्परिक सहायता.
  • सामान्य सहायता
  • सहायता में किया जाने वाला प्रतिद्वन्द
  • मुख्य सहायता
  • सहायता के बारे में संशय या शंका
  • बिना सोची समझी मिलने वाली हानि

पारस्परिक सहायता

पहले भाव में स्थिति ग्रह अपने से नवें भाव में स्थिति ग्रह की सहायता करेगा,और नवें भाव में विराजमान ग्रह पहले भाव में स्थिति ग्रह की सहायता करेगा,दूसरे भाव में विराजमान ग्रह छठे भाव में विराजमान ग्रह की सहायता करेगा,और दसवें भाव में विराजमान ग्रह दूसरे भाव में स्थिति ग्रह या भाव की सहायता करेगा,तीसरे भाव में स्थिति ग्रह सातवें भाव के ग्रह या भाव की सहायता करेगा,और ग्यारहवें भाव का ग्रह या भाव तीसरे की सहायता करेगा,चौथे भाव का ग्रह या भाव आठवें की सहायता करेगा,और ग्यारहवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव चौथे की सहायता करेगा,पांचवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव नवें की सहायता करेगा,और पहले भाव में विराजमान ग्रह या भाव पांचवें की सहायता करेगा,छठे भाव में विराजमान ग्रह या भाव दसवें की सहायता करेगा,और दूसरे भाव में विराजमान ग्रह या भाव छठे की सहायता करेगा,सातवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव ग्यारहवें भाव की सहायता करेगा,और पांचवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव सातवें की सहायता करेगा,आठवें भाव के अन्दर विराजमान ग्रह या भाव बारहवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव की सहायता करेगा,और चौथे भाव में विराजमान ग्रह या भाव आठवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव की सहायता करेगा,नवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव पहले भाव में विराजमान ग्रह या भाव की सहायता करेगा,और पांचवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव नवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव की सहायता करेगा,दसवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव दूसरे भाव की सहायता करेगा,और छठे भाव में विराजमान ग्रह या भाव दसवें की सहायता करेगा,ग्यारहवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव पांचवें भाव में विराजमान ग्रह या भाव की सहायता करेगा,और सातवां भाव और उसमे विराजमान ग्रह ग्यारहवें भाव की सहयता करेगा,बारहवां भाव और उसके ग्रह चौथे भाव की सहायता करेंगे,और आठवें भाव में विराजमान ग्रह और भाव बारहवें भाव में विराजित ग्रहों और भाव की सहयता करेंगे,यह पारस्परिक सहायता कहलाती है,इसमे शत्रु ग्रह और धर्मी ग्रह कभी सहायता नही करते है,धर्मी केवल आश्वासन देता है,जबकि राहु केवल मजे लेने के लिये अपने को सामने लाता है,और केतु साधन तो देता है,लेकिन चाबी अपने पास रखता है.

सामान्य सहायता

हर भाव का सातवां भाव और उसमें विराजमान ग्रह एक दूसरे की सहायता के लिये कूद पडते है,लेकिन सोया हुआ भाव अगर जगाया नही गया है,या हर भाव का सातवां भाव खुद किसी ग्रह से पीडित है,अथवा सातवें भाव में शनि राहु केतु या दुश्मन ग्रह विराजमान है,तो सहायता की जगह केवल नुकसान ही देने की कोशिश करेंगे.

सहायता में किया जाने वाला प्रतिद्वन्द

किसी भी भाव के आठवें भाव में विराजमान ग्रह के प्रति उस भाव की सोच केवल दुश्मनी वाली ही होती है,और हर भाव का छठा भाव उसे दुश्मनी की नजर से ही देखेगा,इन भावों का असर जहर के माफ़िक ही होता है,जहर चाहे मीठा हो या कडवा उसका काम तो मारना ही होता है,पहले भाव से आठवां भाव सप्तम का दूसरा होता है,संसार में कितने ही लोग आपने अपने जीवन साथी के कुटुम्ब और भौतिक धन के प्रति अपना सहानुभूति वाला भाव रखते होंगे,या कितने ही लोग जीवन साथी के परिवार से बनाकर चलते होंगे,अथवा जीवन साथी के द्वारा कमाये जाने वाले धन का कितने लोग सही रूप से भोग रहे होंगे,यह तो उन्ही को पता होगा.इसी प्रकार से छठा भाव पिता के धर्म का होता है,कितने लोग पिता के धर्म के द्वारा कर्जा दुश्मनी और बीमारियों के प्रति उत्तरदायी है,और अधिकतर तो केवल छठे भाव के प्रति पूरी जिन्दगी उसके द्वारा उकसाने पर लडाइयां लडते आये है,छठा भाव संतान का धन होता है,माता की बहिन होती है,पिता का पुराना परिवार होता है,दोस्तों और बडे भाई के शत्रु होते है,इस बात को समझ कर लालकिताब के द्वारा सामाजिक सहायताओं के प्रति बहुत ही आसानी से जाना जा सकता है.

मुख्य सहायता

हर भाव और भाव में विराजमान ग्रह अपने से नवें भाव को मुख्य सहायता भेजता है,और उसका पांचवा भाव उस भाव को अपनी सहायता भेजता है.पहले भाव का कर्तव्य उसे नवें भाव के लिये सहायता भेजने के लिये प्रेरित करता है,और पांचवा भाव पहले भाव के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है,इसी प्रकार से प्रत्येक भाव के लिये जानी जाती है,भाव के अन्दर विराजमान ग्रह अपना असर पूरी तरह से नवें और पांचवे भाव में विराजमान ग्रह पहले के लिये अपनी जिम्मेदारी समझता है.

सहायता के बारे में शक या शंका

पहला भाव दसवें के लिये और चौथा भाव पहले के लिये अपना वास्तविक रूप सामने नही रख पाता है,इसी प्रकार से दूसरा ग्याहरवें के लिये और पांचवा दूसरे के लिये,तीसरा बारहवें के लिये और छठा तीसरे के लिये,चौथा पहले के लिये और सातवां चौथे के लिये अपनी बात को सही रूप में सामने नही कर पाता है,जिस प्रकार से ग्यारहवां भाव पुत्रवधू का है,किसी प्रकार से आठवां भाव जो जोखिम का माना जाता है,और कोई जोखिम आती है,तो अगर सहायता पुत्रवधू से मांगी जाये तो वह अक्सर अपने भाव को तब तक प्रसारित नही कर सकती है,जब तक कि उसे पूरी तरह से अपने फ़ायदे वाली बात सामने नही लगे,अधिकतर वह अपने ऊपर मांगी जाने वाली सहायता के प्रति अपने से छोटों पर और देवर आदि पर अपना भार उतारने की कोशिश करेगी,उसका कथन होगा कि जिस प्रकार से छोटों के प्रति सहानुभूति थी,तो उन्ही से जाकर अपनी सहायता क्यों नही मांगते.या उसको यह लगे कि उसके द्वारा दी जाने वाली सहायता से उसे कोई निजी लाभ नही होगा और उसके देवर आदि का फ़ायदा होगा तो वह फ़ौरन अपने को किसी न किसी बहाने के प्रति बताकर अपने को छुपाने की कोशिश करेगी.

बिना सोचे समझे मिलने वाली हानि

कुन्डली का पहला भाव अगर तीसरे भाव से कोई सहायता मांगता है,तो वह बिना सोची समझी दी जाने वाली क्षति के लिये जिम्मेदार माना जायेगा,इसी प्रकार से दूसरे के चौथा भाव,तीसरे के लिये पहला भाव,चौथे के लिये दसवां भाव पांचवें के लिये सातवां,छठे के लिये चौथा,सातवें के लिये पहला,आठवें के लिये दसवां,और नवें के लिये सातवां,दसवें के लिये चौथा,ग्यारहवें के लिये पहला,बारहवे के लिये दसवां भाव हानि देने के लिये जिम्मेदार माना जायेगा.