जहरीले जानवर के काटने का टोटका

अनुभूत टोटके

प्रकृति के अनुसार कोई व्यक्ति जब अपने ही कर्मों के अनुसार दुख उठाता है और जब वह अपने किये की सजा पा लेता है तो मनुष्य ही उस व्यक्ति के दुखों को दूर करने का उपाय करता है। भौतिक कारणों के अनुसार व्यक्ति को बीमारी का इलाज करवाने के लिये अस्पताल में जाना पडता है,अगर व्यक्ति को दुख और उठाना है तो अस्पताल का डाक्टर नही मिलता है,मिलता भी है तो बीमारी को किसी तरह से नही पहिचान पाता है और बुखार की जगह पर अन्य किसी रोग की दवा करने लगता है,परिणाम में वह व्यक्ति जो दुख झेल रहा था,अन्य प्रकार की दवा खाने और उसके रियेक्सन करने के कारण नया दुख झेलने लगता है,तो वजाय दुख दूर होने और दुख मिलने लगते है। पुराने जमाने में कोई बडे डाक्टर अस्पताल नही थे,पुरुखों के पास केवल अनुभूत उपाय थे,जिनके द्वारा वे रोग को तुरत दूर कर देते थे, जैसे.

अगर किसी सुनसान स्थान या पेड के पास जाने पर वहां पर लगी बर्र या ततैया के झुंड के द्वारा आक्रमण करने पर व्यक्ति सहन शील होता है और विष को झेलने की हिम्मत होती है तो वह बच जाता है, अन्यथा जहरीला डंक व्यक्ति के प्राण ही लेलेता है, लेकिन इसी समय एक टोटका काम आता है,कि दाहिने हाथ के अंगूठे में अगर ततैया ने डंक मार दिया है तो फौरन बायें हाथ के अंगूठे को पानी से धो डालिये,विष का पता ही नही चलेगा कि ततैया या बर्र ने काटा भी है या नहीं, इसी बात के लिये जब तक डाक्टर के पास जाते, बर्र या ततैया के डंक को निकलवाते विष रोधी इन्जेक्सन लगवाते ,तो विष का दुख तो दूर हो जाता, लेकिन उस इन्जेक्सन का कुप्रभाव दिमाग की नशों को प्रभाव हीन भी कर सकता था।


सांप के विष से बचाव हेतु :

चौत्र मास की मेष संक्राति के दिन मसूर की दाल एवं नीम की पत्तियां खाएं। सर्प काट भी लेगा तो विष नहीं चढ़ेगा।  इसके अतिरिक्त प्रतिदिन प्रातः काल नीम की पत्तियां चबाकर पानी पीएं और घूमने जाएं, शरीर में विष रोधी क्षमता बढ़ेगी।