सूर्य मुद्रा

अंगूठे से तीसरी अंगुली अनामिका (रिंग फिंगर) को मोड़कर उसके ऊपरी नाखून वाले भाग को अंगूठे के जड़ (गद्देदार भाग) पर दवाब(हल्का) डालें और अंगूठा मोड़कर अनामिका पर निरंतर दवाब(हल्का) बनाये रखें तथा शेष अँगुलियों को अपने सीध में सीधा रखें.....इस तरह जिस मुद्रा का निर्माण होगा उसे सूर्य मुद्रा कहते हैं...


लाभ - यह मुद्रा शारीरिक स्थूलता (मोटापा) घटाने में अत्यंत सहायक होता है...जो लोग मोटापे से परेशान हैं,इस मुद्रा का प्रयोग कर फलित होते देख सकते हैं..

( अनामिका को महत्त्व लगभग सभी धर्म सम्प्रदाय में दिया गया है.इसे बड़ा ही शुभ और मंगलकारी माना गया है.हिन्दुओं में पूजा पाठ उत्सव आदि पर मस्तक पर जो तिलक लगाया जाता है,वह इसलिए कि ललाट में जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है योग के अनुसार मस्तक के उस भाग में द्विदल कमल होता है और अनामिका द्वारा उस स्थान के स्पर्श से मस्तिष्क की अदृश्य शक्ति जागृत हो जाती हैं,व्यक्तित्व तेजोमय हो जाता है)