सूर्य मुद्रा अंगूठे से तीसरी अंगुली अनामिका (रिंग फिंगर) को मोड़कर उसके ऊपरी नाखून वाले भाग को अंगूठे के जड़ (गद्देदार भाग) पर दवाब(हल्का) डालें और अंगूठा मोड़कर अनामिका पर निरंतर दवाब(हल्का) बनाये रखें तथा शेष अँगुलियों को अपने सीध में सीधा रखें.....इस तरह जिस मुद्रा का निर्माण होगा उसे सूर्य मुद्रा कहते हैं... लाभ - यह मुद्रा शारीरिक स्थूलता
(मोटापा) घटाने में अत्यंत सहायक होता है...जो लोग मोटापे से परेशान
हैं,इस मुद्रा का प्रयोग कर फलित होते देख सकते हैं.. |