हस्त मुद्रा
योग में आसन प्राणायाम, मुद्रा, बंध अनेक विभाग बनाए गए हैं। इसमे हस्त मुद्राओं का बहुत ही खास स्थान है। मुद्रा जितनी भी प्रकार की होती है उन्हे करने के लिए हाथों की सिर्फ 10 ही उंगलियों का उपयोग होता है। उंगलियों से बनने वाली मुद्राओं में रोगों को दूर करने का राज छिपा हुआ है। हाथों की सारी उंगलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग के इस ग्रंथ को महार्षि घेरण्ड ने लिखा था। इस ग्रंथ में योग के देवता भोले शंकर ने माता पार्वती से कहा है कि हे देवी, मैने तुम्हे मुद्राओं के बारें में ज्ञान दिया है सिर्फ इतने से ही ज्ञान से सारी सिद्धियां प्राप्त होती है।
मानव शरीर के बारे में एक बात हर कोई जानता है कि हमारा शरीर आकाश, वायु,
अग्नि, जल और पृथ्वी के मिश्रण से बना हुआ है और हाथों की पांचों उंगलियों
में से अलग-अलग तत्व मौजूद है जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी उंगली
में वायु तत्व, मध्यमा उंगली में आकाश तत्व और अनामिका उंगली में पृथ्वी और
कनिष्का उंगली में जल तत्व मौजूद है।
जिस तरह इस संसार में धन वाली मुद्रा का बहुत ही खास महत्व है, ऐसे ही
उंगलियों को एक दूसरे से छूते हुए किसी खास स्थिति में इनकी जो आकृति बनती
है, उसे मुद्रा कहते हैं। मुद्रा के द्वारा अनेक रोगों को दूर किया जा सकता
है। उंगलियों के पांचों वर्ग पंचतत्वों के बारें में बताते हैं। जिससे
अलग-अलग विद्युत धारा बहती है। इसलिये मुद्रा विज्ञान में जब उंगलियों का
रोगानुसार आपसी स्पर्श करते हैं, तब विद्युत बहकर होकर शरीर में समाहित
शक्ति जाग उठती है और हमारा शरीर निरोगी होने लगता है।
योग विज्ञान में मुद्राओं के द्वारा बहुत से लाभों के बारें मे बताया गया
है जैसे- शरीर से सारे रोग समाप्त हो जाते है, मन में अच्छे विचार पैदा
होते है आदि। जो व्यक्ति अपने जीवन को खुशहाल, निरोग और स्वस्थ बनाना चाहता
है उनको अपनी जरूरत के मुताबिक मुद्राओं का अभ्यास करना चाहिए। मुद्राओं
को बच्चों से लेकर बूढ़े सभी कर सकते हैं। हस्त मुद्रा तुरंत ही अपना असर
दिखाना चालू कर देती है। जिस हाथ से ये मुद्राएं बनाते है, शरीर के उल्टे
हिस्से में उनका प्रभाव तुरंत ही नज़र आना शुरू हो जाता है। इन मुद्राओं को
करते समय वज्रासन, पदमासन या सुखासन आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। इन
मुद्राओं को रोजाना 30 से 45 मिनट तक करना लाभकारी होता है। इन मुद्राओं को
अगर एक बार करने में परेशानी आए तो 2-3 बार में भी करके पूरा लाभ पाया जा
सकता है। किसी भी मुद्रा को करते समय हाथ की जिस उंगली का मुद्रा बनाने में
कोई उपयोग ना हो उसे बिल्कुल सीधा ही रखना चाहिए। एक बात का ध्यान रखना
जरूरी है कि जिस हाथ से मुद्रा की जाती है उसका प्रभाव उसके बाईं ओर के
अंगों पर पड़ता है। टॉप टेन हस्त मुद्रा : 1.ज्ञान मुद्रा, 2.पृथिवि मुद्रा, 3.वरुण मुद्रा,
4.वायु मुद्रा, 5.शून्य मुद्रा, 6.सूर्य मुद्रा, 7.प्राण मुद्रा, 8.लिंग
मुद्रा, 9.अपान मुद्रा और 10.अपान वायु मुद्रा।
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