मूलांक २ चन्द्रमा 


मूलांक २ का अधिष्ठाता स्वामी ग्रह चन्द्रमा हैं। वर्ष के किसी भी मास की तारीख २,११,२० एवं २९ तारीख को जन्म लेने वाले जातक का मूलांक २ होता है और जन्म तारीख, मास और जन्म वर्ष के सभी अंको का योग कर जो पिण्डांक प्राप्त होता है उसे भाग्यांक कहते हैं, सूर्य और चन्द्रमा में मित्रता है।
मूलांक १ वालों के लिए २ का अंक भी शुभ सूचक है। स्वाभाविक रूप से सूर्य में तेज एवं चन्द्रमा में शीतलता का प्रभाव रहता है। इस अंक वाले व्यक्ति कल्पना शक्ति कलाप्रिय तथा कलाप्रेमी होते हैं। इनकी शारीरिक शक्ति मध्यम बल से युक्त होती है, परन्तु मानसिक शक्ति अच्छी होती है- ये दिमागी कामों में तेज एवं बुद्धिमान होते हैं, किसी भी महीने की २ तारीख को अथवा २ अंक बनाने वाली तारीख जैसे- २,११,२०,२९ तारीख को जन्म लेने वाले जातक अथवा जिस नाम के प्रथम शब्द से दो अंक बनता हो उस जातक का मूलांक २ होता है। पाश्चात्य ज्योतिषियों के मतानुसार २० जून से २५ जुलाई तक जिस जातक का जन्म होता है उस जातक पर चन्द्रमा का विशेष प्रभाव रहता है।
२ मूलांक वाले जातक को कोई भी महत्वपूर्ण कार्य माह की २, ११, २०, २९ तारीख को करना अनुकूल एवं शुभफलदायी होता है। इस प्रकार के जातक कोई भी नया-कार्य व्यवसाय रवि, सोमवार, मंगल या शुक्रवार को प्रारम्भ करें तो अनुकूल फल प्राप्त होगा।
२ मूलांक वालों के लिए प्रत्येक मास की २,११,२०,२९/७,१६,२५ एवं ९,१८,२७, तारीख शुभ सूचक रविवार चन्द्रवार, भौमवार एवं गुरूवार का दिन भी शुभसूचक होगा।
जन्म दिनांक दो होने से अंक ज्योतिष के आधार पर इनका मूलांक दो होता है। मूलांक दो का स्वामी चन्द्र ग्रह को माना गया है। जिसके प्रभाववश ये एक कल्पनाशील, कलाप्रिय एवं स्नेहशील स्वभाव के जातक होते हैं। इनकी कल्पनाशक्ति उच्च कोटि की रहती है, लेकिन शारीरिक शक्ति बहुत अच्छी नहीं रहती है। इनकी बुद्धि चातुर्य काफी अच्छी होगी एवं बुद्धि विवेक के कार्यों में दूसरों से बाजी मार ले जायेंगे। जिस प्रकार से इनके मूलांक स्वामी चन्द्रमा का रूप एकसा नहीं रहता समयानुसार घटता-बढ़ता रहता है, उसी तरह ये भी अपने जीवन में एक विचार या योजना पर दृढ  नहीं रहते हैं। इनकी योजनाओं में बदलाव होता रहता है एवं इनमें एक योजना को छोड कर दूसरी को प्रारम्भ करने की प्रवृत्ति होती है तथा धीरज एवं अध्यवसाय की कमी होती है। इससे इनके कई कार्य समय पर पूर्ण नहीं होते। आत्म विश्वास की मात्रा इनके अन्दर कम होती है। इनकी सामाजिक स्थिति उत्तम होती है एवं मानसिक रूप से जिसे ये अपना लेंगे वैसे ही इनको लाभ प्राप्त होगा। जनता के मध्य ये एक लोकप्रिय व्यक्ति होते हैं तथा स्वयं की मेहनत से अपनी सामाजिक स्थिति निर्मित करते हैं। अवस्थानुसार नेत्र, उदर, एवं मूत्र संबंधी रोगों का सामना करना पड ता है, मानसिक तनाव तथा शीतरोग भी परेशान करेंगे। जल से उत्पन्न रोग कफ, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द की शिकायतें भी यदाकदा होगी।
इस प्रकृति के जातक शिष्ट, उदार शान्तचित्त, कल्पनाशील, कलाप्रेमी, विनम्र मृदुभाषी एवं रोमांचित स्वभाव के होते हैं। ऐसे जातक में स्त्रीगुणों की प्रधानता होती है। इनमें शारीरिक सुकोमलता परन्तु प्रखरता, तेजस्विता विद्यमान रहती है एवं मेधावी गुणों से युक्त होते हैं। ये शरीर से सुकोमल होने के कारण कठिन एवं परिश्रम युक्त कार्य में शिथिल रहते हैं। इनके लिए रंग श्वेत अंगूरी, हरा एवं क्रीम अनुकूल एवं भाग्यवर्धक हैं। इनके लिए ब्लू, लाल, काला रंगादि अशुभसूचक एवं प्रतिकूल फलदायी हैं।
इस अंक वालों के लिए उत्तर, उत्तरपूर्व एवं पश्चिम दिशाएँ शुभ सूचक हैं। इनके लिए हीरा, मोती, मूनस्टोन, स्फटिक, पीला रत्न धारण करना श्रेयष्कर होता है। २ अंक वाले प्राणी पेटकी बिमारी से परेशान रहते हैं। इन्हें चुकन्दर गोभी, शलजम, खीरा, खरबूजा, तोरी, करमकल्ला, जलकदली एवं अलसी का प्रयोग अधिक करना चाहिए। इन अंक वालों को सदैव शान्त रहना एवं एकान्त वास करना अनुकूल रहेगा। इन्हे संकल्पित कार्यों के प्रति जी-जान से जुट जाना चाहिए ताकि सफलता सुनिश्चित हो सके। ये अपने विचार पर दृढ नहीं रहते तथा कभी-कभी महत्वपूर्ण कार्य को भी त्याग देते हैं, एवं योजना को अपूर्ण छोड़कर पुनः अन्य कार्य में लग जाते हैं। इनमें धैर्य एवं अध्यवसाय की कमी रहती है, ये अपने कार्य को अपूर्ण छोड कर मार्ग बदल लेते हैं, इस स्वभाव के कारण सफलता
नहीं मिलती अथवा देर से सफल होते हैं। इनमें आत्मविश्वास की कमी रहती है तथा थोडे से परिश्रम अथवा बिलम्ब होने से निराश एवं उदासीन हो जाते हैं। यदि भावुकता पर विजय पा लें तो ये निश्चित्‌ रूप से सफल होते हैं।
इनके जीवन का मूल रहस्य इस बात में है कि, ये बाधाओं मुसीबतों तथा कठिनाइयों में भी मुस्कराते रहते हैं। प्रत्येक बाधा इनके संकल्प को और ज्यादा मजबूत करती है ये कठिनाइयों से हताश नहीं होते अपितु अधिक जोश से कार्य में जुट जाते हैं और जब तक कार्य सम्पन्न नहीं हो जाता तब तक ये विश्राम नहीं करते हैं, यही इनका जीवन-रहस्य है।

मूलांक २ का स्वामी चन्द्रमा एवं देवता शिव हैं इनके लिए शुभ धातु रजत (चांदी) शुभ रत्न मोती, चन्द्र मणि एवं मून स्टोन है। इनका शुभ रंग श्वेत, हरित, अंगूरी, काफूरी, दिशा वायव्य वस्तु शंख कपूर, श्वेत चंदन, श्वते वस्त्र और अन्न चावल तरल पदार्थ दही है। चन्द्रमा का मंत्र ऊँ श्रां श्रीं श्रौ सं: चन्द्रमसे नमः एवं जाप संखया १३००० है।
२ का अंक विपरीतता का प्रतीक है तथा यह प्रमाण और पुष्टि का भी द्योतक है। यह द्विगुण संपन्न अंक है, जैसे एक ओर जोड  का है तो दूसरी ओर घटाने का, एक ओर क्रियाशीलता का तो दूसरी ओर निष्क्रियता का, एक ओर स्त्रीलिंग का तो दूसरी ओर पुल्लिंग का, एक ओर सकारात्मकता का तो दूसरी ओर नकारात्मकता का, एक ओर लाभ का तो दूसरी ओर हानि का प्रतीक है।
२ के अंक का संबंध मानसिक आकर्षण, भावना, सहानुभूति, घृणा, संदेह व दुविधा से है।
अपने बच्चों के प्रति इन लोगों का अथाह प्रेम होता है तथा ये लोग बच्चे के लिए कोई समझौता करने को तैयार नहीं होते आवश्यकता पड ने पर बालक के लिए अपनी पत्नी के साथ, संबंध खराब कर लेते हैं। ये अशांत मन, शांत होने पर ही, कमजोर स्वभाव पर काबू प्राप्त कर सकते हैं। पुरानी वस्तु अधिक पसंद करते हैं। खेतीवाड़ी, बाग, फार्म हाऊस आदि में अच्छी रुचि होती है।
यदि ऐसे लोग नाट्‌यकला, लेखन, चित्रकला, सिनेमा, अभिनय अथवा कोई सार्वजनिक सेवा प्रवृत्ति में रुचि लें तो इन्हें सफलता मिलती है। कुदरती सौंदर्य, सुन्दरता, सुंदर स्त्री, संगीत, कला आदि में सफल होते हैं। ये गूढ  स्वभाव के होते हैं, जिससे ये लोग चाहने पर ज्योतिष, मंत्र, तंत्र, विद्या में पारंगत बन सकते हैं। ऐसे लोग मानहानि से सदा डरते रहते हैं तथा मान और धन प्राप्त करने के लिए सदैव इच्छुक होते हैं। ये लोग सामान्यतः उदास और निराश दिखायी देते हैं क्योंकि बहुत थोडे से व्यक्ति या परिवार उनकी भावना को समझ सकते हैं।
ऐसे लोगों को अध्ययन की तुलना में धनप्राप्ति में अधिक रुचि होती है, जिससे इनका अध्ययन अल्प होता है। ऐसे लोग विवाहित होने पर अन्य स्त्रियों के साथ भी प्रेमसंबंध बनाते हैं तथा पैसा लापरवाही से उडाते हैं। कई बार दूसरी स्त्री के प्रेम में आसानी से फंस जाते हैं और उनकी शांति अशांति में बदल जाती है। अंक २ में पैदा हुए लोगों में सर्दी और कफ की प्रकृति होती है तथा अपनी मां के प्रति हमेशा संवेदनशील रहते हैं। कई बार आनेवाली घटना से घबराकर बीमार न होने के बावजूद भी बीमार पड  जाते हैं। हमेशा इन लोगों के स्वभाव में उतार चढाव आता है तथा शरीर भरा भरा और वर्ण लगभग गोरा होता है एवं परिवार प्रेमी होते हैं, परन्तु इन्हें परिवार से हमेशा दुःख मिलता है, इसके बावजूद ये लोग परिवारवालों से अलग नहीं रह सकते। परिवार से अलग होने पर ये मन ही मन रोते रहते हैं। इनका शेयर, सट्टा, जुआ के प्रति भी झुकाव होता है। इनमें सामान्य बात को भी बढा चढाकर कहने की आदत होती है, जिसमें दूसरे को उबन होती है, परन्तु उसकी परवाह उनको नहीं होती तथा इन्हें सफर करने का शौक होता है। यदि ये लोग अध्यात्मवाद में रुचि लें, तो अच्छा यश प्राप्त करते हैं। इन्हें शनिवार को सावधानी रखना जरूरी होता है। संभव हो तो ऐसे लोगों को मोगरा के सफेद फूल को साथ रखना चाहिए, इससे कार्य में सफल होते हैं। इनके बहुत से मित्र होते हैं।
मित्रों को ऐसे लोग मन से चाहते हैं, परन्तु किसी मित्र के अनुचित बर्ताव से बहुत उदास हो जाते हैं। यदि हो सके तो इन्हें अच्छी मोती की अंगूठी बनाकर पहननी चाहिए।