मूलांक ६ शुक्र

मूलांक ६ का अधिष्ठाता प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है। जिस किसी भी जातक का जन्मांक ६ हो और वह चाहे वर्ष के किसी भी मास में ६ तारीख को अथवा ६ अंक बनाने वाली तारीख में जन्म हुआ है, उसका मूलांक ६ होता है। पाश्चात्य अंक (ज्योतिषी) शास्त्री के मतानुसार प्रत्येक वर्ष की २१ अप्रैल से २१ मई तक तथा २४ सितम्वर से १८ अक्टूबर तक शुक्र का विशेष प्रभाव रहता है। अतः इस
समयावधि में किसी का भी जन्म ६,१५ अथवा २४ तारीख हो तो ऐसे व्यक्तियों पर शुक्र का प्रभाव विशेष होगा। मूलांक ६ वाले व्यक्ति प्रायः लोक-प्रिय होते हैं। इनका व्यक्तित्व अच्छा तथा इनमें आकर्षण शक्ति एवं मिलन सारिता अधिक होती है। फलस्वरूप इनके सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति इनसे खुश रहते हैं तथा ये सौन्दर्य प्रेमी होते हैं। ये सुन्दर व्यक्तित्व, कला संगीत, प्रकृति तथा चित्र
अभिनय, मनोरंजन आदि से सम्बन्धित होते हैं। ये मित्र अतिथि एवं आगन्तुकों का विशेष सत्कार करते हैं तथा ललित कला प्रिय होकर कला एवं कलाकार को प्रोत्साहित करते हैं। ये हठी प्रवृति के होकर, अन्त तक अपनी जिद पर अड़े रहते हैं। ये अपने प्रतियोगी को परास्त करने की इच्छा रखते हैं तथा इन्हें सफलता भी मिलती है।
जन्म दिनांक ६,१५,२४ होने से अंक ज्योतिष के आधार पर, मूलांक ६ होता है जिसका अधिष्ठाता शुक्र ग्रह है। मूलांक ६ के प्रभाव वश इनके अन्दर आकर्षण शक्ति तथा मिलनसारिता अधिक रहती है। इस गुण के कारण ये लोकप्रियता प्राप्त करते हैं। सुन्दरता तथा सुन्दर वस्तुओं की ओर आकृष्ट होना इनकी सहज प्रवृत्ति होगी। विपरीत सेक्स के प्रति इनका आकर्षण अधिक होता है एवं सुन्दर नर-नारियों से संबंध बनाना, वार्तालाप करना, इनकी प्रवृति रहती है। विभिन्न कलाओं के क्षेत्र में इनकी अभिरुचि रहेगी एवं कला के क्षेत्र को अपना रोजगार-व्यापार भी बना सकते हैं। संगीत-साहित्य, ललितकला, चित्रकला इत्यादि में रुचि रखते हैं। सुन्दर वस्त्र धारण करना एवं सुसज्जित मकान में रहना इनको अच्छा लगता है।

अतिथियों का आदर सत्कार करने में इनको गर्व होता है। घर या ऑफिस में सभी वस्तुऐं ढंग से रखना, सुरुचिपूर्ण फर्नीचर, परदे इत्यादि रखना, इनको अधिक पसंद होता है। इनके स्वभाव में थोड़ा हठीपन होता है एवं इनकी हमेशा यही कोशिश रहती है कि, मेरी बात को सामने वाला मान जाया करे। किसी बात पर अडे रहना तथा ईर्ष्या की मात्रा इनके अन्दर अधिक रहती है। ये
कार्यक्षेत्र में किसी की प्रतिद्वन्दिता को आसानी से सहन नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण कभी-कभी मानसिक तनाव एवं आत्मग्लानि का भी सामना करते हैं। ये दूसरों को अपना बना लेने की कला में पारंगत होते हैं। शीघ्र मित्र बनाने की कला इनके अन्दर अधिक मात्रा में होने से इनके मित्रों की संखया अधिक रहती है। ये आकस्मात्‌ किसी के भी मित्र बन जाते हैं तथा सुहृदय होते हैं। मूलांक ६ के मित्रांक ३ एवं ९ अंक होते हैं। इनकी २,४,५,७ अंक से समता तथा अंक १ और अंक ८ से शत्रुता रहती है। अतः इनके लिए ६,१५,२४/३,१२,२१,३० एवं ९,१८,२७ तारीख अनुकूल तथा मार्च, जून, सितम्वर एवं दिसम्वर का माह शुभफलदायी होता है। यदि उपरोक्त मास की उपर्युक्त तारीख मंगलवार, बृहस्पतिवार अथवा शुक्रवार को पड  जाए तो विशेष रुप से अमृत-सिद्ध योग का सृजन होकर अति शुभफलदायी होता है। इन दिनों में ये किसी प्रकार का नवीन कार्य का शुभारंभ करें तो विशेष सफलता मिलती है। इस अंक वालों के लिए हल्का नीला, आसमानी, हल्का पीला, रंग शुभ फलदायी होता है। इनके लिए हल्का गुलाबी रंग, भी उपयुक्त है, किन्तु काला, गहरा लाल, या काकरोजी रंग अशुभ सूचक है।

अंक ६ के अधिपति ग्रह, शुक्र दैत्यो के गुरु हैं, अतः ये भोगकारक तथा राज्य योगकारक ग्रह है। ऐसा व्यक्ति उच्चकोटि का शौकीन तथा सुख पाने वाला व्यक्ति होता है, ये लोकप्रिय होते हैं। इनमें काम वासना की अधिकता रहती है तथा ये रति शास्त्रज्ञ होते हैं। ये एक अच्छे गुप्तचर नीति विशारद वाकपटु एवं विद्वान होते हैं। इनके लिए अनुकूल रत्न फिरोजा, हीरा, सफेद मूँगा, स्फटिक, सफेद पोखराज आदि रत्न होते हैं। इस अंक वालों के लिए उत्तरपूर्व, उत्तर पश्चिम तथा दक्षिण की दिशा भी शुभ होती है। मूलांक ६ वाले जातक को गले, नाक और फेफड़े से सम्बन्धित बीमारियों की आशंका रहती है। ये खुले हवादार स्थान में रहना पसन्द करते हैं। इन्हें स्वास्थ्य रक्षा, हेतु, कलियाँ, चुकंदर, पालक पुदीना, खरबूजा, अनार, सेब, आडू, अखरोट अंजीर, बादाम, गुलाब की पत्तियों आदि का सेवन अधिक करना चाहिए। इनके जीवन का १५, २४, ३३, ४२, ५१, ६० एवं ६९ वर्ष स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
६ मूलांक वालों के लिए ३ एवं ९ अंक वालों के साथ सहानुभूति रहने के कारण जीवन में ३०, ३९, ४८, ५७, ६६, ५४ एवं ६३ वर्ष भी शुभसूचक, उन्नति कारक एवं सफलता दायक होता है। इनके जीवन का मूल रहस्य इस बात में है कि, ये विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कराते रहते हैं और कठिनाइयों में निर्भीकता से आगे बढ कर परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना लेते हैं। मूलांक ६ का स्वामी शुक्र एवं देवता भगवती हैं। इनके लिए अनुकूल धातु चांदी प्लेटिनॅम एवं व्हाइट मेटल तथा अनुकूल रंग नीला, आसमानी, एवं सफेद है। इनकी अनुकूल दिशा आग्नेय कोण है। अनुकूल वस्तुएँ मिश्री, दही, श्वेत चन्दन, चावल एवं श्वेत वस्त्र है। इनके लिए अनुकूल अन्न चावल तथा तरल पदार्थ दूध है। जाप मंत्र ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः तथा जप संखया १६,००० है।

६ का अंक सहयोग का प्रतीक है यह एक कड़ी में जोड ने व संबंधों का संकेतक है। पारस्परिक क्रिया, पारस्परिक संतुलन का भी द्योतक है। यह आध्यात्मिक व भौतिक जगत का मिलन स्थल जैसा है। यह मनुष्य में मानसिक व शारीरिक क्षमता का प्रतीक है। यह मीमांसा, मनोविज्ञान, दैवीय क्षमता, समागम व सहानुभूति का भी प्रतीक है। यह अंक परामनोविज्ञान, दूरसंवेदिता व मानसिक तुलना का भी प्रतिनिधि है। यह संपरिवर्तन, सहयोग, शांति, संतुलन व संतुष्टि की ओर संकेत करता है। यह संतुलन द्वारा परखी गई उदारता, सौंदर्य व सत्य का प्रतीक है। यह उद्‌देश्य प्राप्ति, समागम व पारस्परिकता का भी परिचायक है। यह स्त्री-पुरुष के नैसर्गिक संबंधों का प्रतीक है। ६ का अंक सहयोग, विवाह, पारस्परिकता,सहानुभूति,अभिनय, कला, संगीत, नृत्य का प्रतिनिधित्व करता है।
शुक्र के जातक प्रेमी होने से और उनमें भोगेच्छा का शौक विशेष होने से, वे जल्द विवाह करने के लिए तैयार होते हैं, और किसी कारण से न होने पर विवाह से पूर्व, स्त्रीसुख जरूर भोगते हैं और ये लोग पुरुष हों तो स्त्री और स्त्री हो तो पुरुष, भोगने के लिए इन्हें अवश्य मिलते हैं। शुक्र के व्यक्ति को इन्द्रियसुख की इच्छा प्रबल होती है तथा इसमें इन लोगों को खयाल रखना चाहिए कि कभी दुराचार के मार्ग से न चले जाएं क्योंकि दुराचार के मार्ग पर जाने से उनमें अशिष्टता अवश्य पैदा होती है। इनमें ईश्वर के प्रति निष्ठा भी होती है तथा ये लोग मिलनसार, हमदर्द, हृदय के सुकोमल, कला के प्रति रुचि रखनेवाले तथा स्वयं किसी न किसी विषय में कलाकार होते हैं। ऐसे जातक बात विचार के मनमौजी, कपडे, गहने, फूलों के, घूमने फिरने के, खाने पीने के गाडी मोटर आदि के शौकीन होते हैं, तथा अध्यात्मिक गुणों से संपन्न होते हैं।
सेंट और अत्तर के ये बहुत शौकीन होते हैं। इसके साथ इन लोगों के स्वभाव में जो तेज और आवेश रहता है, उस पर वे काबू कर लें तो बहुत अच्छा कार्य कर सकते हैं। इन लोगों का स्वभाव तीक्ष्ण और बुद्धिप्रधान होने से अच्छे फिल्म कलाकार, नाट्‌य, संगीत, कविता, लेखन आदि कार्य करें तो अच्छी खयाति प्राप्त करते हैं।

ये लोग स्वतंत्रता प्रिय होते हैं जिससे ये अपने कार्य में अथवा जीवन में किसी के हस्तक्षेप को सहन नहीं करते। ये लोग दूसरे की सराहना बहुत पसंद करते हैं और सराहना करनेवाला जो कुछ मांगता है, उसे देने के लिए तैयार हो जाते हैं। इन लोगों को जल्द क्रोध नहीं आता, परन्तु जब क्रोध आता है तो, मुश्किल से शांत होते हैं। ये लोग दूसरों पर हुक्म चलाते हुए दिखायी देते हैं और थोड़ा सा भी गफलत में न रहते हुए कार्य को पूर्ण करने की निगरानी रखते हैं। इन लोगों का स्वभाव बहुत जिद्दी होता है, यदि एक बार किसी के प्रति कोई मत बना लेते हैं, तो वे अपने मत को कभी छोड ते नहीं हैं, उनका स्वभाव तर्कविर्तक करनेवाला होता है, इससे कई बार कार्य करते हुए कार्य अधूरा छोड देते हैं। इन लोगों का अन्य के साथ गुप्त संबंध भी होता है। अपने साथी के लिए, मित्र या किसी के प्रति एक बार यदि ये लोग खराब अभिमत बना लेते हैं, तो कभी अपना अभिमत नहीं बदलते। इन लोगों को मोटाई, पसंद नहीं होती, इसके बावजूद मित्रों के बीच मोटाई बतानेवाले मित्र उनकी सराहना करें, ऐसी उनकी इच्छा होती है।
इन लोगों में सराहना की बात यह है, कि वे चाहते हैं कि वे कहें और लोग सुनें, इसके बावजूद वे भी दूसरे की बात को व्यावहारिक रहकर सुनते हैं, और न्याय का रुख अपनाते हैं। इन लोगों के परिचय में आनेवाले लोग उनके वश में होते हुए दिखायी देते हैं, तथा इन लोगों के हास्य में, बात में, आंखों में आकर्षण होता है। ये लोग आय का बहुत बडा भाग, प्रेम के पीछे खर्च कर देते हैं तथा स्त्री हो तो पुरुष, और पुरुष हो तो स्त्री के लिए परस्पर इस अंक के लोग, अधिक खर्च करते हुए दिखायी देते हैं।