मूलांक ५ बुध

मूलांक ५ का अधिष्ठाता प्रतिनिधि ग्रह बुध है। जिनका जन्म ५,१४,२३ तारीख को अथवा किसी भी महीने में ५ अंक बनाने वाली तारीख में जन्म हुआ हो उनका मूलांक ५ होता है। पाश्चात्य अंक (ज्योतिष) के मतानुसार २२ मई से २१ जून तक और २४ अगस्त से २३ सितम्बर तक प्रतिवर्ष बुध का विशेष प्रभाव रहता है। फलस्वरूप इन समयों में जन्म लेने वाले जातक का मूलांक ५ होतो उन पर बुध का विशेष प्रभाव होता है। बुध से प्रभावित जातक मिलनसार एवं मित्रता करने वाले होते हैं। ये किसी भी व्यक्ति को अपने प्रभाव में ले लेते हैं।
बुध से प्रभावित मूलांक ५ वाले जातक द्विस्वभावात्मक होने के कारण सभी लोगों के, मित्र हुआ करते हैं। परन्तु मूलांक ५ अथवा ५ अंक बनाने वाली तारीख में जन्मे प्राणी से इनकी विशेष घनिष्टता रहती है। इनका जन्म दिनांक पाँच होने से अंक ज्योतिष के आधार पर मूलांक पाँच होता है, इसका स्वामी बुध ग्रह है। मूलांक पाँच के प्रभाववश ये रोजगार के क्षेत्र में नौकरी की अपेक्षा व्यापार के मार्ग में अधिक आकृष्ट होते हैं। यदि ये नौकरी का मार्ग चुनते हैं तो, ऐसी नौकरी इनको अधिक पसन्द आयेगी जहाँ लेन-देन, लेखा, यांत्रिकी, वाणिज्य, इत्यादि का कार्य होता हो कम्पनी, फैक्ट्री उच्च व्यापार इनको रास आयेगा। बुधग्रह के प्रभाववश इनके अन्दर वाक्‌पटुता एवं तर्कशक्ति अच्छी होती है, एवं सामने वाले व्यक्ति को अपनी बातों से प्रभावित करने में समर्थ रहेंगे। ये हर कार्य को जल्दी समाप्त करना पसन्द करेंगे एवं ऐसे रोजगार की ओर उन्मुख होंगे जिसमें शीघ्र सफलता कम मेहनत तथा अधिक लाभ प्राप्त होता रहे। ये थोड़े जल्दबाज एवं फुर्तीले होते हैं। जल्दबाजी के चक्कर में ये कभी-कभी हानियों का भी सामना करते हैं।

बुध से प्रभावित जातक कुशल व्यवसायी, बुद्धिमान, विद्वान, सट्‌टेबाज तथा शीघ्र लाभ होने वाले व्यवसाय की ओर विशेष आकर्षित होते हैं। ये किसी भी प्रकार के विषयपर अधिक दिनों तक चिन्तन या पश्चाताप नहीं करते। किसी विशेष परिस्थिति या अव्यवहारिकता से इनके मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, परन्तु ये गम्भीर से गम्भीर बातों को शीघ्र भुलाकर सामान्य हो जाते हैं। मूलांक ५ वालों के लिए अंक ३ और ९ मित्रांक १,६,७ एवं ८ अंक सम तथा अंक २ और ४ शत्रु अंक होते हैं। ३,१२,२१,३० एवं ९,१८ और २७ तारीख शुभ सूचक होती है। इनके लिए फरवरी, मई एवं नवम्बर का महीना अनुकूल एवं भाग्यशाली होते हैं। इनके लिए प्रत्येक बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार का दिन विशेष शुभ एवं प्रसन्नता प्रदायक होते हैं। इस अंक वाले जातक के लिए
फरवरी, मई एवं नवम्वर के महीने में ५,१४,२३/३,१२,२१,३० एवं १९,१८,२७ तारीख बुधवार, गुरुवार तथा शुक्रवार को पड  जाए अर्थात्‌ शुभमास+शुभदिन+शुभ तारीख का संयोग हो जाए, तो सभी कार्य सफल होते हैं, ऐसे सुअवसर पर किसी नींव को देना, शुभारम्भ करना, अनुबन्धन, यात्रा सौदा, निवेश या कोई भी शुभ कार्य, अनुकूल फलदायी एवं सफलता प्रदायक समझा जाता है। बुध
स्नायु मंडल का अधिष्ठाता है, बुध प्रभावित प्राणी अपनी स्नायविक ऊर्जा का अधिक व्यय कर लेते हैं, फलस्वरूप, अधिक आयु हो जाने पर स्नायु मंडल की द्रौर्बल्यता, मूर्छा आदि रोग होने की आशंका रहती है तथा ऐसे जातक में चिड चिडापन या गुस्सा अधिक होता है।

ये बुध की भाँति चंचल और अस्थिर प्रकृति के होते हैं। इनमें आश्चर्यजनक चारित्रिक लोच होती है। ये किसी भी प्रकार की दिक्कतों या हानियों से शीघ्र मुक्त हो जाते हैं। इनके लिए हरा, श्वेत, भूरा, कत्थई चमकदार एवं मटमैला रंग अनुकूल एवं लाभप्रद होता है। इनके लिए पूर्वोतर एवं पश्चिमोत्तर दिशाएँ शुभसूचक एवं सफलता प्रदायक होती है। इनके लिए अनुकूल रत्न पन्ना, हीरा, स्फटिक, अमेरिकन डायमण्ड, आदि शुभ है। सम्बन्धित रत्नों को चाँदी में मढ़वाकर धारण करना चाहिए। बुध के अशुभ हो जाने पर आंत सम्बन्धी रोग, चर्मरोग, दाद, जुकाम, नजला एवं मानसिक तनाव की आशंका रहती है। ऐसे व्यक्ति को विश्राम करना, शयन करना एवं एकान्त वास करना, शुभ फलकारक होता है । इन्हें गाजर, चुकन्दर, पत्तागोभी, ज्वार की रोटी, खुमानी, पुदीन हरा, अखरोट, काजू, बादाम आदि सेवनीय है। ५ मूलांक वाले जातक के लिए जीवन का ५, १४, २३, ३२, ४१, ५०, ५९, ६८ प्रभावशाली एवं महत्वपूर्ण वर्ष माना जाता है।
इनके जीवन का मूल रहस्य इस बात में है कि, विपरीत से विपरीत परिस्थितयों को भी अपने अनुकूल बनाने की क्षमता, इनमें रहती है। बाधाएँ इनको अपने इच्छित मार्ग से हटा नहीं सकती। कठिन परिस्थितियों में भी ये न तो हिम्मत हारते हैं और न धैर्य खोते हैं, उल्टे ये शान्तिपूर्वक आगे बढ ते रहते हैं। यही इनके जीवन का रहस्य है। मूलांक ५ का स्वामी बुध और देवता लक्ष्मी नारायण हैं। अनुकूल धातु स्वर्ण और पीतल अनुकूल रंग, खाकी, श्वेत, चमकीला एवं हरा है। इनकी दिशा उत्तर और अन्न साबुत मूँग एवं दान पदार्थ साबुत मूँग, कस्तूरी, कांसा और हरित वस्त्र है। तरल पदार्थ घृत जप का मंत्र ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः तथा संखया ९००० है।

५ का अंक विस्तार का प्रतिनिधित्व करता है। यह समझ-बूझ की क्षमता तथा निर्णय का भी प्रतीक है। यह बुद्धि, वाक्‌पटुता, विचार का विस्तारक है। यह न्याय, फसलों, बुवाई तथा कटाई का प्रतीक है। यह भौतिक जगत में स्व के पुनर्उत्पादन, पितृत्व, परितोष व दंड का द्योतक है। ५ का अंक तर्क, कारण, नैतिकता, यात्रा, वाणिज्य व उपयोगिता का प्रतीक है। विज्ञान, साहित्य, कला के क्षेत्र में इन्हें अच्छी कीर्ति मिल सकती है तथा ये लोग अधिक वातूनी होने के बावजूद मायावी भी होते हैं। इन लोगों में बोलने की शैली तीक्ष्ण होती है तथा कटाक्ष बोलते हैं, और ऐसे स्वभाव के कारण हमेशा चिंता करते हुए जीते हैं। ये लोग क्रोध से पीड़ित होते है, परन्तु एक गुण अच्छा होता है कि, क्षणिक क्रोध के बाद पछतावा भी करते हैं। अपने सगे लोगों के प्रति पक्षपात रखते हैं, एवं एक बार यह निश्चित हो जाने के बाद कि वे गलत हैं, फिर भी अपनी जिद पर अडे रहते हैं। किसी भी बात में उलझन होने पर उसका समाधान भी ये लोग सावधानीपूर्वक करते हैं। जीवन जीने के लिए है, इसे समझकर परिवार के साथ मग्न रहकर परिवार में मन लगाएं तो ठीक ढंग से जीवन व्यतीत कर सकते हैं। इसके लिए परिवार के साथ प्रेम और आदर रखकर जीने पर इनके जीवन में कुछ अच्छा हो सकता है। ये लोग मानसिक शक्ति पर निर्भर रहते हैं, जिससे उन्हें काफी अनुभव मिलता रहता है। बुद्धिप्रधान स्वभाव के कारण समाज में अच्छी खयाति अर्जित करते हैं। इन्हें गलत धंधा नहीं करना चाहिए, क्योंकि मादक पदार्थ
उन्हें बरबाद करता है और कभी कोई स्त्री उनके जीवन में आती है तो, वह स्त्री उन्हें विषयवासना की ओर ले जाकर उन्हें, बरबाद करना चाहती है जिससे उन्हें इस संबंध में बहुत सावधान रहना चाहिए। ये लोग बाहर रहना अधिक पसंद करते हैं, घर में रहना जरा भी अच्छा नहीं लगता, तथा घर में रहना इन लोगों को कदाचित ही जमता है। कई बार सत्य समझने के बावजूद अपना हठ नहीं छोड ते। झूठी कल्पना तथा चिंता कर, अपने जीवन को हमेशा दुःखी करते रहते हैं।

विद्या में इनकी अच्छी रुचि होती है, परन्तु ये पूर्ण विद्या नहीं प्राप्त कर पाते और बीच में ही इन्हें अध्ययन छोड़ना पड ता है। तर्क अधिक करते रहने से मनपसंद काम भी अधूरा छोड  देते हैं। इस पर यदि वे काबू प्राप्त कर लें तो उनकी गणना भी अच्छे लोगों में हो सकती है। कई बार मानसिक शक्ति के व्यय से वे अनुचित दबाव के तहत जीते हैं। इनका शरीर नाजुक होता है जिससे स्थान परिवर्तन में उन्हें सर्दी, खांसी आदि शीघ्र होता है। इन्हें मंगलवार को सावधानी रखना जरूरी है। ईश्वर के प्रति, साईबाबा, श्री जलारामबापा जैसे किसी संत के या सूर्यपूजा आदि में मन लगाकर बहुत सी परेशानियों से बच सकते हैं। इन लोगों के पास प्रभु द्वारा दी गई सुंदर अंतरप्रेरणा होती है, तथा जिससे चाहें जितने भी कठिन प्रश्नों का समाधान सहज ही कर सकते हैं।