मूलांक ७ नेपच्यून/केतु

मूलांक ७ का प्रतिनिधि ग्रह केतु है, पाश्चात्य विद्वान ७ अंक का स्वामी ग्रह नेपच्यून बताते हैं, वास्तव में नेपच्यून का स्वभाव ''वरुण'' के समान बताते हैं। परन्तु यह नाम भ्रान्तिकारक है। भारतीय वैदिक गणित के अनुसार मूलांक ७ का प्रतिनिधित्व केतु को प्राप्त होता है। जिस किसी भी व्यक्ति का जन्मांक ७,१६,२५ है अथवा जातक का जन्म किसी भी माह की ७ तारीख अथवा ७ बनाने
वाली तारीख को हुआ है, तो उसका मूलांक ७ होता है। प्रायः चन्द्रमा की भाँति वरुण ग्रह जल प्रधान ग्रह है, परन्तु ७ अंक की आन्तरिक विशेषता केतु के समान है, अतः हमें ७ अंक का स्वामी ग्रह केतु को मान कर विवेचना करनी चाहिए।
मूलांक ७ का मित्रांक २ एवं ६ है सम अंक ३,४,५,८ तथा शत्रु अंक १ एवं ९ है। इस प्रकार ७ अंक वालों के लिए प्रत्येक माह की ७,१६,२५ एवं २,११,२०,२९ तथा ६,१५,२४ तारीख अनुकूल एवं शुभसूचक है। इस अंक वालों के लिए प्रत्येक वर्ष की जनवरी, फरवरी अप्रैल एवं जुलाई का माह तथा प्रत्येक सप्ताह के रविवार, सोमवार, शुक्रवार का दिन शुभसूचक है। यदि वर्ष के उपरोक्त माह की सम्बन्धित तारीख, सप्ताह के शुभ दिन, तीनों का समीकरण हो जाए तो वह संयोग अधिक शुभ सिद्ध होगा।

इनका जन्म दिनांक सात होने से अंक ज्योतिष के आधार पर इनका मूलांक सात होता है। अंक सात का अधिष्ठाता, भारतीय मतानुसार केतु एवं पाश्चात्य मतानुसार नेपच्यून ग्रह को माना गया है। इन ग्रहों के प्रभाव इन्हें प्रभावित करते हैं। मूलांक सात के प्रभाववश इनमें कल्पना शक्ति अधिक होती है। काव्य रचना, गीत-संगीत सुनना, दूरदर्शन देखना इनकी अभिरुचि होती है। ललित कलाओं, लेखन, साहित्य आदि में इनकी अधिक रुचि रहती है। आर्थिक सफलताएं इनको अधिक नहीं मिलती तथा धन संग्रह करना भी इनको मुश्किल लगता है। यात्रा, पर्यटन, सैर-सपाटा इत्यादि इन्हें विशेष अच्छा लगता है। दूसरों के मन की बात समझने में ये निपुण होते हैं एवं अन्य लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करने की विशेष शक्ति भी इनके अन्दर रहेगी। धर्म के क्षेत्र में ये परिवर्तनशील विचारधारा के रहेंगे एवं पुरानी रूढ़ियों रीतियों, में अधिक रुचि नहीं रखते। इन्हें ऐसे रोजगार-व्यापार करना चाहिए जिनमें यात्रायें होती रहें, तथा दूर-दूर के देशों से सम्पर्क बना रहे। ये ऐसा ही रोजगार करते हैं जिनमें यात्रा के अवसर मिलते रहें। अतीन्द्रिय ज्ञान की अधिकतावश जहाँ ये दूसरों के मन की बात को जान जायेंगे वहीं इन्हें स्वप्न भी अद्‌भुत प्रकार के आते हैं तथा विदेशों से जहाज, मोटर इत्यादि वाहनों से लाभ प्राप्त होता है। इस अंक के व्यक्ति सदैव परिवर्तनशील होते हैं। ये यात्रा करना नवीन स्थान का परिदर्शन करना, अधिक पसन्द करते हैं। ये काल्पनिक एवं भावुक स्वभाव के होते हैं। ये चित्रकला एवं काव्य प्रेमी तथा कवि होते हैं। इन्हे इस क्षेत्र में सफलता भी मिलती है। धन के मामले में भाग्य इनका साथ नहीं देता और ये आर्थिक रुप से दुर्बल होते हैं। इस अंक वाले यदि परिश्रम करके धन संग्रह भी करते हैं, तो धन रुकता नहीं किसी भी प्रकार से धन नष्ट हो जाता है।
जिस स्त्री जातक का मूलांक ७ होता है, वह धनी परिवार में व्याही जाती है। इस प्रकार के जातक धार्मिक मामले में रूढि वादी होते हैं। प्रचलित परम्परा के विरुद्ध अपनी धार्मिक धारणा रखते हैं और दूसरों के मन की बात बिना बताए जान जाते हैं। ये स्वप्न द्रष्टा होते हैं तथा आश्चार्यजनक स्वप्न देखा करते है।

मूलांक ७ पर जलीय प्रभाव तथा नेपच्यून और केतु से प्रभावित रहने के कारण सामुद्रिक यात्रा-विदेश के व्यवसाय करने अथवा जहाज सम्बन्धी कार्य में विशेष सफलता मिलती है। पाश्चात्य ज्योतिषीय मतानुसार २१ जून से २५ जुलाई तक मेदिनीय क्षितिज पर नेपच्यून का विशेष प्रभाव रहता है। अतएव इस मासान्तर्गत ७,१६,२५ तारीख को जन्म लेने वाले जातक पर नेपच्यून के गुण विशेष मात्रा में मिलते हैं। रविवार, सोमवार, बुधवार तथा शुक्रवार इनके लिए शुभ सूचक हैं। इन्हें १,१०,१९,२८ तथा ९,१८,२७ अशुभ सूचक तारीखों को कोई विशेष महत्वपूर्ण अथवा शुभकार्य करना हानिकारक होगा। इनके लिए हरा, काफूरी, (हल्का पीला) सफेद, नीला, आसमानी, गुलाबी, आदि रंग शुभसूचक एवं प्रसन्नता प्रदायक तथा हरा रंग सर्वथा अशुभ है। ऐसे कल्पनाशील प्राणी का विशाल मस्तिष्क उन्नत ललाट, समान्यकद, तीक्ष्णबुद्धि निर्णायक और गम्भीर स्वभाव होता है। ये श्रेष्ठ विचारक धैर्यवान तर्कशक्ति से
सम्पन्न होते हैं। इनके लिए लाभदायक रत्न, मूनस्टोन तथा मोती है। ये शीघ्र ही क्रोधित हो जाते हैं तथा शारीरिक शक्ति की अपेक्षा मानसिक सबल होते हैं। इन्हे सांस सम्बन्धी रोग के प्रति सतर्क रहना चाहिए। इनके लिए चुकन्दर गोभी, चिकोरी, खीरा, अलसी, सेब, अंगूर रसयुक्त फल, आम, अनार, जामुन, सन्तरा आदि सेवन करना अनुकूल है। इनके जीवन में ७, १६, २५, ३४, ४३, एवं
६१ वर्ष उन्नति कारक एवं प्रसन्नता तथा भाग्योन्नति कारक वर्ष होता है। बाधाएँ इन्हें विचलित नहीं कर सकतीं, कठिनाइयों से ये हताश नहीं होते और चुपचाप अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं- यही इनके जीवन का रहस्य है।
मूलांक ७ का स्वामी केतु अर्थात नेपच्यून है, देवता नृसिंह भगवान अनुकूल धातु अभ्रक, अनुकूल रंग सफेद, हरा एवं काफूरी दिशा नैर्ऋत्य वस्तुएँ नारियल, धूम्र वस्त्र, अन्न सप्तधान्य तरल पदार्थ तेल एवं जाप का मंत्र ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः एवं जप संखया १७,००० है।

७ अंक पूर्णता का परिचायक है, यह समय व स्थान, अंतराल तथा दूरी का प्रतीक है। वृद्धावस्था, क्षीणता, मृत्यु, सहनशीलता, स्थिरता, अमरत्व का भी यह प्रतिनिधित्व करता है। यह सात युगों, सप्ताह के सात दिनों आदि का प्रतीक है। यह सात प्रतिज्ञाओं, मनुष्य की सिद्धांतपरकता, ध्वनि के विभिन्न अवयवों व रंगों का भी संकेत करता है। यह मनुष्य की पूर्णता, विकास के चक्र, बुद्धि,
मनोसंतुलन तथा विश्राम का भी द्योतक है। इसका प्रतिनिधि ग्रह केतु है। ७ का अंक शांति, अनुबंध, समझौता, संधि, मेल-जोल, सामंजस्य व कटुता का संकेत करता है। इन लोगों के स्वभाव को परख करना कठिन होता है। स्वभाव में उतार-चढ़ाव रहता है, क्योंकि यह नेपच्यून ग्रह होने से जिस तरह जलाशय पर चंद्र का असर होता है और जलाशय में खलबलाहट होती है, उसी तरह इन लोगों के स्वभाव और जीवन में खलबलाहट रहती है, इसके बावजूद इन लोगों के मन में अच्छे विचार और संस्कार दिखायी देते हैं। इन लोगों की आत्मा ऊंची होती है तथा दुनियादारी का अच्छा ज्ञान होता है। इन लोगों में भारी कमी यह होती है, कि वे कोई भी निर्णय ठोस नहीं करते, इसके बावजूद इन लोगों में बहुत से लोग ठोस विचार शक्तिवाले होते हैं, जिससे जीवन में बहुत प्रगति करते हैं। इन लोगों में अच्छी व्यवस्था शक्ति होती है, जिससे किसी के हाथ के नीचे काम करने के लिए तैयार नहीं होते
और यदि किसी के हाथ के नीचे काम करें, तो वे प्रगति नहीं कर सकते तथा ये लोग निःस्वार्थी भी होते हैं। ये लोग अपयश से पीडित होते हैं, इसके लिए हमेशा दुःखी रहा करते हैं। दूसरों को पैसे से, सहायता करते हैं, परन्तु वे काम हो जाने के बाद पैसा वापस नहीं करते, ऊपर से खराब भी बोलते हैं।

इन लोगों के शरीर में साधारण दोष देखने को मिलता है, दांत में ऊंचाई, नीचाई, आवाज में कर्कशता, शरीर का कोई अंग अधिक या छोटा बड़ा भी हो सकता है। ये लोग विदेश जाने के इच्छुक हों तो सहज ही जा सकते हैं। इन लोगों में एक विशेष कमी रहती है, कि ये दूसरे से उबन पैदा करनेवाले प्रश्न पूछकर समय खराब कर देते हैं। ये लोग स्वयं को बहुत हिसाबी समझते हैं, परन्तु हिसाब में उनकी पारखी नजर न होने से मार खा जाते हैं। इन लोगों की चाहत अंतःकरण से होती है और जिसे चाहते हैं, उसे असीम प्रेम करते
हैं। ये चाहने और कोशिश करने पर अच्छे लेखक भी बन सकते हैं। स्वस्थ और बहुत समय तक जीवित रह सकते हैं तथा ये लोग अपनी तुलना अन्य व्यक्ति के साथ करते रहते हैं, क्योंकि इस तुलना से इन लोगों में ईर्ष्या पैदा होती है जो उनके स्वभाव की सुसंगतता बिगाड  देती है। इन लोगों पर समाज कोई न कोई जिम्मेदारी डालता है, कारण कि ये लोग समाज से दूर नहीं हो सकते। इन लोगों की रुचि लेखन, कला, कविता की ओर भी रहती है तथा स्वभाव शंकालु होता है तथा इन लोगों को अच्छे बुरे व्यक्ति की परख नहीं होती। ये लोग अच्छे कानूनविज्ञ या न्यायाधीश भी हो सकते हैं। इन लोगों की सहनशक्ति गजब की होती हैं ये चाहें तो अपनी चमत्कारिक सिद्धि, विकसित कर सकते हैं। इन लोगों को कोई उकसाए या उनकी सराहना करें तो वे सब कुछ दे देते हैं। इन लोगों का कोई अच्छा निःस्वार्थी सलाहकार होना जरूरी है।

इन लोगों की दृष्टि व्यक्ति की परख करने में सदा गलत साबित होती है और धोखा खाने के बाद हथेली में मुंह छिपाकर कोने में बैठकर संताप करते हैं। ये लोग समाज में अच्छा काम कर सकते हैं। तदुपरांत राजनीति में रहने पर नाम कमा सकते हैं। इन लोगों को किसी की सलाह लेना पसंद नहीं है तथा इन्हें भाषा पर अच्छा नियंत्रण रहता है। ये लोग अपना अधिकार नहीं छोडते और इस संबंध में कभी झगडा भी कर लेते हैं। इन लोगों की स्तुति करनेवाला हमेशा इन लोगों के पास से प्राप्त करता है, क्योंकि ये लोग स्तुति करनेवाले को सब कुछ दे देते हैं।