मूलांक ४ राहु

अंक ४ का अधिष्ठाता ग्रह राहु है पाश्चात्य मतानुसार ४ अंक के प्रतिनिध ग्रह ''हर्षल'' अर्थात्‌ यूरेनस को भी मानते हैं। भारतीय अंक विधान में अंक ४ का प्रतिनिधि ग्रह राहु को मानते हैं। इस अंक का सम्बन्ध सूर्य तथा अंक १ से माना जाता है। इसका मुखय प्रभाव राहु के समान साहस, प्रगति, विध्वंस, विस्फोट, आश्चर्यजनक कार्य, तथा असंभावित कार्य है। जिस जातक की जन्मतारीख, अर्थात्‌ मूलांक ४ होता है, वह जातक संघर्षशील होता है। इस अंकवाले प्राणी की विचार धारा लोगों से विपरीत होती है। कई लोगों के मध्य
अंक ४ का प्राणी एक अलग अपना विचार प्रस्तुत करता है, जो अन्य के प्रतिकूल होता है। इस कारण इस जातक के कई मित्र, विरोधी या शत्रु हो जाते हैं। किसी भी महीने में ४,१३,२२,३१ तारीख को जन्मे व्यक्ति अथवा ४ अंक बनाने वाली तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक ४ होता है।
पाश्चात्य अंक शास्त्री के मतानुसार जिस जातक का मूलांक ४ है जिनका जन्म २१ जून से ३१ अगस्त एवं १६ जुलाई से १६ सितम्बर तक के समय में हुआ है, तो उन पर ४ का प्रभाव विशेष मात्रा में रहेगा। इस प्रकार के प्राणी समाज सुधारक, प्राचीन प्रथा के उन्मूलक तथा आधुनिक प्रथा के संस्थापक होते हैं। ये सामाजिकता अथवा राजनीति क्षेत्र में भी नवीनता लाने में अग्रगण्य होते हैं। ऐसा इनके स्वभाव के अनुरूप ही होता है। ये सहजता पूर्वक किसी से सम्बन्ध स्थापित अथवा मित्रता नहीं कर पाते, परन्तु जिस जातक की जन्मतारीख अर्थात्‌ मूलांक १,२ ७ एवं ८ होता है, वे इनके साथ सम्बन्ध अथवा मित्रता निभाते हैं।
इनका जन्म दिनांक चार होने से अंक ज्योतिष के आधार पर मूलांक चार होता है। जिसका स्वामी भारतीय मतानुसार राहु एवं पाश्चात्य मतानुसार हर्षल को माना गया है। मूलांक चार के प्रभाववश ये अपने जीवन में सहसा एवं आश्चर्यजनक प्रगति करते हैं। इनके जीवन में कई असंभावित घटनायें भी घटती हैं। कुछ घटनायें ऐसी भी घटित होती हैं जो इनका कैरियर बदल देती हैं। ये एक संघर्षशील व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। इनकी विचारधारा भी आम लोगों से प्रायः अलग होती है। जमाने से ये काफी आगे की सोच रखते हैं तथा विरोध प्रकट करने की आदत के कारण, ये अपने आलोचक स्वयं उत्पन्न करेते हैं।

ये पुरानी प्रथाओं, रीतियों के विरोधी होते हैं तथा उनमें सुधार करने की पूरी कोशिश करते हैं। ये अपने कार्यक्षेत्र में पुरानी प्रथाओं को नवीन रूप में ढालने की कोशिश करते हैं। अपने जीवन में ये धन संग्रह अधिक नहीं कर पाते हैं, लेकिन नाम, यश अधिक प्राप्त करते हैं, समाज में परिवर्तन देखना इनका स्वभाव होता है। यदि ये अपनी संघर्ष करने की प्रवृत्ति पर अंकुश रखकर, सहनशील तथा सहिष्णु बन सकें और शत्रुता कम पैदा करें, तो अपने जीवन में अधिक सफलता अर्जित करते हैं।
इनकी विचार धारा सुधार वाली होने से समाज में अच्छी खयाति प्राप्त होती है। लेकिन यह खयाति स्थिर नहीं होती, कभी तो उच्चता के शिखर पर होगी और कभी यह खयाति न्यून होती है। अतः इनको निरन्तर कार्य में लगे रहना पड़ता है और नये-नये परिवर्तन तथा आविष्कारों द्वारा अपना नाम रोशन करते रहना इनका स्वभाव बन जाता है। इनका स्वास्थ्य साधारणतः उत्तम होता है, लेकिन
कभी-कभी अत्यधिक श्रम एवं मानसिक थकान के कारण सिरदर्द, गर्मी से उत्पन्न रोग, मानसिक तनाव आदि का सामना करना पडता है।
४ अंक वाले मुक्त हस्त से व्यय करते हैं तथा ये धन संचय नहीं कर पाते। इन्हें अपव्यय और अति व्यय करने पर नियंत्रण तथा धन संचय की ओर प्रवृत होना चाहिए। ४ अंक वालों के लिए सप्ताह के तीन दिन रविवार, सोमवार तथा शनिवार शुभ होते हैं। इनके लिए ४,१३,२२,३१ तारीख शुभ तथा जनवरी, अप्रैल, जुलाई एवं अक्टूबर का माह अनुकूल होता है। ४ अंक के लिए १ एवं ८ मित्र २,६,७ एवं ९ अंक सम तथा ३ और ५ अंक शत्रु होते हैं। इस प्रकार इनके लिए प्रत्येक माह की ४,१३,२२,३१,१,१०,१९,२८,८,१७,२६ तारीख शुभ हैं। यदि माह जनवरी, अप्रैल, जुलाई एवं अक्टूबर में उपरोक्त तारीख और सम्बन्धित दिन अर्थात्‌ माह दिन और तारीख का संयोग हो जाए तो उस दिन कोई भी महत्वपूर्ण कार्य, यात्रा, अनुबन्ध आदि शुभकार्य सफल, प्रभावशाली एवं लाभप्रद होगा। इस अंक वाले अपने स्वभाव तथा विचारधारा में बदलाव लावें और प्रतिद्वंन्द्विता तथा संघर्ष करने वाली प्रवृति का त्याग कर दें, तो हर क्षेत्र में
सफल हो सकते हैं।

इनका व्यक्तित्व रहस्यमय होता है, इनके जीवन में धन का हानि-लाभ उत्थान-पतन आकस्मिक होता है। ये गम्भीर हृदय के व्यक्ति होते हैं तथा इनके दिल के रहस्य का पता लगाना कठिन होता है। ये महत्वपूर्ण बातों का रहस्य एवं गोपनीयता बनाए रखते हैं तथा ये अव्यवहारिक होते हैं। इनका पारिवारिक और दाम्पत्य जीवन क्लेशयुक्त रहता है। प्रायः सन्तान पक्ष से ये हानि उठाते हैं। इन्हें धर्मपत्नी के स्वास्थ्य की सदैव चिन्ता बनी रहती है। इनके लिए क्रीमरंग, भूरा, मिश्रित, खाकी, चमकदार, नीलेरंग के वस्त्र अनुकूल एवं भाग्यशाली होते हैं। धूप-छाँव या राख जैसा- मटमैला रंग-सर्वोत्तम होता है। इन्हें अपने घर के पर्दे, वेडसीट, फर्नीचर आदि को भी इन्ही रंगो से सुसज्जित करना चाहिए। इनके जीवन में यदा-कदा ऐसे रोग होते हैं जो रोग समझ में नहीं आते और कुछ दिनों तक बीमार या पीड़ित रहकर प्रायः स्वस्थ्य हो जाते हैं। इनको खिन्न होने से सिर तथा पीठ में दर्द जैसी बिमारियाँ होने की आशंका रहती है। इन्हें पालक, चौलाई, हेमती आदि का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। इन्हें बीमारी हालात में, विद्युत उपचार मानसिक
चिकित्सा चुम्बकीय चिकित्सा तथा तांत्रिक चिकित्सा से लाभ प्राप्त होता है। इन्हें नशीली दवाएँ मांसाहार आदि से परहेज करना चाहिए। इनके जीवन का १३, २२, ३१, ४०, ४९ तथा ५८ वर्ष स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इनके जीवन का मूल रहस्य यह है कि ये विपरीत से विपरीत परिस्थितियों की भी परवाह नहीं करते तथा अनुशासन के माध्यम से ये उन विपरीत परिस्थितियों से भी निकल आते हैं। सुडौल देह व सरकारी नौकरी इन्हें प्रिय है, तथा जीवन में संयम, मर्यादा, धर्म, कर्त्तव्यपालन, अनुशासनहीनता इनका प्रधान जीवन-रहस्य है। मूलांक चार का स्वामी हर्षल अथवा यूरेनस तथा राहु को मानते हैं देवता गणेश धातु शीशा, अनुकूल रंग नीला, धूप छांव एवं खाकी है। इनकी दिशा नैर्ऋत्य, वस्तुयें कम्बल, तेल, तिल और नीला वस्त्र है। जाप मंत्र ऊँ छ्रां छ्रीं
छ्रौं सः राहवे नमः एवं जाप संखया १८,००० है।

४ का अंक वास्तविकता व स्थायित्व का संकेत करता है। यह भौतिक जगत का द्योतक है, यह वर्गाकार व घनाकार है। भौतिक नियम, तर्क व कारण भौतिक अवस्था तथा विज्ञान का प्रतीक है यह अनुभूतियों, अनुभव तथा ज्ञान के माध्यम से पहचाना जाता है। यह काट, खंडीकरण, विभाजन, सुनियोजन तथा वर्गीकरण का द्योतक है। यह स्वास्तिक, विधिचक्र, संखयाओं का क्रम तथा योग है। यह बुद्धि, चेतना, आध्यात्मिक व भौतिकता के अंतर की पहचान है। अतएव यह विवेचना, विवेक तथा सापेक्षीकरण का स्वामी है। इस प्रकार यह बुध का प्रतीक है। ४ का अंक उपलब्धि, संपत्ति, कब्जा, श्रेय, हैसियत व भौतिकता का परिचायक है।
इन जातकों को ढेर सारा रुपया मिले तो कैसे उपयोग करना है और कहां उपयोग करना हैं, उस पर विचार किए बगैर खर्च कर डालते हैं। भावना के आवेश में ये लोग असंतुलित भी दिखायी देते हैं। इन लोगों के जीवन में उतार चढ़ाव के योग होते रहते हैं। इसके बावजूद ये लोग दूसरों के लिए मेहनत करेंगे, भले उसमें उनका हित हो या न हो। इन लोगों के मन में कोई विचार आने पर बिना सोचे समझे कुछ भी करने के लिए तत्पर हो जाते हैं। परिवार के सदस्य उनकी देखभाल करते हैं, तो भी वे अपने को हमेशा अकेला ही समझते हैं। इन लोगों के बारे में अधिक कहना मुश्किल होता है कि, ये लोग कब चिढ ेंगे और कब खुश होंगे। ये अपने कामकाज में हमेशा गैर जिम्मेदार रहते हैं तथा अधिकांशतः अस्तव्यस्त जीवन बीताते हैं। ये लोग दूसरे को अपने जैसा समझते हैं। इस कारण कई बार धोखा और मनमुटाव पैदा हो जाता है। समाज के पुराने रीतिरिवाज इन लोगों को मान्य नहीं होते। इसके लिए थोडा भी झुकने को तैयार नहीं हाते, भले ही बाद में उन्हें नुकसान उठाना पडे, परन्तु वे लड ने के लिए तैयार हो जाते हैं।

उदासीनता आने पर यदि किसी अच्छी बात में मन लगाएं तो उस संबंध में अच्छी प्रगति कर सकते हैं, तथा अच्छी प्रतिष्ठा भी प्राप्त कर करते हैं। कभी-कभी ये लोग ऐसा अच्छा व्यवहार करते हैं कि, सामनेवाले को आश्चर्य होता है। इस बात को लेकर इनके विरोधी मतभेद पैदा करते हैं, परन्तु उन्हें इसकी जरा भी चिंता नहीं होती। इन लोगों में एक बहुत बड़ा अवगुण दिखायी देता है क्योंकि कई बार वे बहुत स्वार्थी बन जाते हैं। छोटे मोटे कारण से भी स्वयं अपने मन को अकारण दुःख देते हैं। इस कारण हताशा में जीवन व्यतीत करते हैं और अधिक दुःखी रहते हैं।
ये लोग मीठा बोलना नहीं जानते और जल्द ही एक बात के दो टुकडे कर डालते हैं। बहुत बडी बात इन लोगों की यह है कि अमीर की तुलना में गरीब को अधिक चहते हैं। ये लोग मन लगाकर धंधा करें तो धंधे में बेसुमार धन कमा सकते हैं, परन्तु उदास स्वभाव के कारण कई बार व्यसन में फंस जाते हैं। ये लोग मन से किसी को मित्र बनाएं तो उसके लिए सर्वस्व निछावर कर देते हैं, मित्र को दगा न देते हुए अपना हित भी नहीं देखते। हो सके तो ४ अंक के लोगों को प्रातःकाल दिया जलाकर पूजा करना चाहिए और लाल
गुलाब का फूल दिया के समक्ष रखकर दृष्टि फूल पर डालते हुए, ऊँ नमः शिवाय का पांच माला अवश्य फेरना चाहिए।
इन लोगों का अधिकांश, प्रेमविवाह होता है तथा कई बार प्रेम में पड ने पर उनसे बडी उम्र के व्यक्ति के साथ विवाह हो जाता है। इन लोगों में नया सर्जन करने की शक्ति होती है, जिससे चाहने पर अनेक लोकोपयोगी नवीन अनुसंधान, विषयों में नाम अर्जित कर सकते हैं। ये लोग साधारण ऊंचाई के होते हैं तथा शारीरिक गठन मजबूत होता है, और ५० वर्ष की उम्र में ये लोग जवान दिखायी देते हैं। इन लोगों के लिए एक बात निश्चित होती है कि, वे अपने जीवन में महत्वपूर्ण कार्य नाम और खयाति, अर्जित करते हैं। चेहरा
हमेशा सखत दिखता है एवं देखने पर ऐसा लगता है कि, ये सेना में काम करते हैं या कोई सरकारी अफसर है।