मूलांक ३ गुरू


पाश्चात्य ज्योतिषीय विचार के अनुसार १९ फरवरी से २० मार्च तक, अथवा २१ नवम्बर से २० दिसम्बर के मध्य जन्मे जातक पर गुरु (बृहस्पति) का विशेष प्रभाव रहता है। इस प्रकार यदि किसी जातक का जन्म उपरोक्त काल में हुआ हो और जन्मतारीख भी ३, १२, २१, अथवा ३० हो तथा नामांक भी ३ हो तो उस जातक पर बृहस्पति का अधिक प्रभाव रहता है। इस अंक का जातक महत्वाकांक्षी, शासक प्रवृतिवाला, एवं कठोर अनुशासन वाला होता है। ऐसा व्यक्ति प्रतिरक्षा, प्रधान, राजकीय, प्रशासनिक, पदाधिकारी अथवा किसी भी विभाग का अध्यक्ष हो तो, अपने कार्यों में शिथिलता नहीं आने देता है। यह कठोर शासक जैसे व्यवहार करता है, फलस्वरूप इसके आधीन कार्यरत कर्मचारी, विरोधी बन जाते हैं।

मूलांक ३ वाले जातक को किसी भी कार्य का शुभारम्भ किसी भी महीने की ३, १२, २१ अथवा ३० तारीख को करना चाहिए। साथ ही १९ फरवरी से २१ मार्च तक के सुअवसर पर एवं २१ नवम्बर से २१ दिसम्बर वाले समय पर ३ अंक वाली तारीख पर नये कार्य का शुभारंम्भ करें तो सफलता की विशेष संभावना रहती है। मूलांक ३ वाले जातक के लिए जीवन का ३,१२, २१, ३०, ३९, ४८, ५७, ६६ की आयु का वर्ष अनुकूल होता है। इनका जन्म दिनांक ३,१२,२१,३० होने से अंक ज्योतिष के आधार पर, इनका मूलांक तीन होता है, मूलांक तीन का स्वामी गुरु है। गुरु ग्रह के प्रभाववश ये अनुशासन के मामले में काफी कठोर होते हैं तथा अपने आधीनस्थ से सखती से कार्य लेंगे। काम में ढील या शिथिलता बर्दाश्त नहीं करते हैं, इस कारण कभी-कभी इनके मित्र ही इनसे
शत्रुता करने लगते हैं।

ये एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति होते हैं और दूसरों पर शासन करने की इनकी सहज इच्छा होती है। गुरु ग्रह के प्रभाववश इनकी विचारधारा धार्मिक होती है तथा विद्या, अध्ययन, अध्यापन, बौद्धिक स्तर के कार्य तथा धर्म-कर्म के क्षेत्र में इनको अच्छी उपलब्धियाँ एवं खयाति प्राप्त होती है। मानसिक रूप से ये काफी संतुलित एवं विकसित व्यक्ति होते हैं तथा किसी भी विषय को समझने की इनमें विशेष क्षमता होती है, तर्क एवं ज्ञान शक्ति इनकी अच्छी रहती है, मन से किसी का भी अहित नहीं करते हैं। सामाजिक स्थिति इनकी काफी अच्छी रहती है तथा समाज में ये अग्रणी एवं मुखिया पद का निर्वहन करना अधिक पसन्द करते हैं। दूसरों को सच्ची सलाह देना, ये अपना धर्म समझते हैं।

स्वभाव से ये शान्त, कोमल हृदय, मृदुवाणी एवं सत्यवक्ता होते हैं, सत्य के मार्ग पर चलते हुये कष्टों को भी सहन करते हैं एवं अन्त में विजयश्री को प्राप्त करते हैं। स्वास्थ्य साधारणतः अनुकूल होता है, लेकिन कभी-कभी मंदाग्नि, जठराग्नि, उदर विकार इत्यादि रोगों का सामना करना होता है। ३ अंकवालों के मित्रांक ६ एवं ९ हैं, ३ अंक वालों के लिए सम १,२,३, एवं ७ अंक हैं जबकि ३ अंक वाले के लिए ४ एवं ८ शत्रु अंक हैं। उपर्युक्त शुभ अंक अथवा मित्र अंक वाले वर्ष प्रगति कारक उन्नति कारक एवं शुभफल दायी होंगे जबकि शत्रुअंक वाले वर्ष अशुभसूचक, अवनति कारक एवं जीवन को प्रभावित करने वाले वर्ष होंगे। स्मरण रहे- कि जीवन में किसी भी माह की निम्मांकित तारीख शुभ एवं अनुकूल फलदायी होंगी।

इस प्रकार ३ अंक वालों के लिए सप्ताह के गुरुवार,शुक्रवार एवं मंगलवार शुभ फलदायी तथा रविवार- सोमवार, बुधवार सम एवं शनिवार अशुभ फलदायी दिन होंगे। यदि शुभ तारीख को शुभ दिन भी पड़ जाए तो यह योग, अमृत सिद्धि योग कारक एवं शुभकारक रहेगा। यदि किसी भी मास के ६,१५,२४ तारीख को शुक्रवार ९,१८,२७ तारीख को मंगलवार तथा ३,१२,२१,३० तारीख को गुरुवार पड  जाए तो उपरोक्त शुभ योग होंगे।

इस अंक में दैवी गुणों की प्रचुरता रहती है ये आध्यात्मवादी तथा विचित्र आकर्षण वाले होते हैं। इनके लिए मार्च, दिसम्बर, सितम्बर एवं जून अनुकूल एवं शुभ सूचक होता है। इनके लिए चमकीला गुलाबी, बैंगनी, हल्का जामुनी, हल्का पीला और हरा आदि रंगों के कपडे अनुकूल होते हैं। इनके लिए अपने आवासीय कमरों का रंग, बेड सीट तथा पर्दे आदि भी इसी रंग के अनुकूलता प्रदान करेंगे। इनके लिए दक्षिण पश्चिम एवं पूर्व और उत्तर दिशाएँ प्रत्येक कार्य के लिए शुभ फलदायी होती हैं। इस अंक वालों के लिए भाग्यशाली रत्न, पोखराज, विल्लौर, नीलमणि एवं माणिक्य रत्न अनुकूलता प्रदान करेंगे। मूलांक ३ वाले व्यक्ति नाड़ी शोथ, गठिया, चर्मरोग से प्रभावित होते हैं। इन्हें चुकन्दर, बेर, शताब्दी कुकरौंधा, कासनी, स्वर्णधान्य, वरी, झरबेटी, सेव, शहतूत, काजू, लवंग, मकोय, अनार, अनन्नास, अंगूर, पुदीना, कस्तूरी, जायफल,जैतून, बादाम, अंजीर, गेहूँ आदि का सेवन करना लाभकारी होगा। स्वास्थ्य परिवर्तन हेतु जीवन का ४८ वाँ एवं ५७ वाँ वर्ष महत्वपूर्ण होंगे।

इनके जीवन का रहस्य इस बात में निहित होता है कि ये किसी भी प्रकार की परिस्थितियों में स्वयं को प्रसन्नचित रख सकते हैं। हर समय मुस्कराते रहना इनका विशेष गुण है। चाहे कितनी ही बाधाएँ आ जाएँ ये विचलित नहीं होते और चुपचाप धैर्यपूर्वक आत्मविश्वास रखते हुए अपने कार्य को करते रहते हैं। मूलांक ३ का स्वामी गुरु एवं देवता विष्णु हैं। इनके लिए अनुकूल धातु सोना
एवं अनुकूल रंग चमकीला, गुलाबी, हल्का जामुनी है, इनकी अनुकूल दिशा ईशान कोण वस्तुएँ हल्दी, पुस्तक, पीला वस्त्र तथा अन्न चने की दाल है, इनकी तरल धातु घृत, जाप मंत्र ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौ सः गुरवे नमः एवं जाप संखया १०,००० है। ३ का अंक त्रिशक्ति का प्रतीक है तथा जीवन के त्रिगुण पदार्थ बुद्धि, बल व चेतना का प्रतीक है। इसमें सृजन, पालन व संहार के ईश्वरीय गुण भी समाहित हैं। परिवार-माता, पिता व शिशु का भी इससे बोध होता है। यह चिंतन तथा वस्तु रूपी तीन आधार तत्त्वों का भी प्रतीक है । यह
चेतना में प्रतिबिंबित होनेवाला द्वैत है, जैसे समय और स्थान में त्रिक अवस्था का निर्माता, जैसे भूत, वर्तमान तथा भविष्य। यह अंक विस्तार, बढोत्तरी, बौद्धिक क्षमता, धन व सफलता का सूचक है।

ये लोग बातचीत में जरा भी पीछे नहीं रहते तथा वाद विवाद में, शब्दबाजी में, सामनेवाले को चौंका देनेवाले होते हैं। इस तरह के वाद विवाद से कडुवाहट पैदा होती है, परन्तु इन्हें उसकी परवाह नहीं होती। जन्मतिथि ३,१२,२१,३० होने से धार्मिक वृत्ति, प्रमाणिकता, सद्‌गुण आदि गुण प्रगतिकारक होते हैं। ऐसे लोग बगैर काम के खाली नहीं बैठ सकते काम न होने पर वे उबन महसूस करते हैं जिससे वे हमेशा कुछ न कुछ कार्य करते रहते हैं। पति पत्नी बारम्बार झगडा करते हैं तथा इसमें कई बार बैरी को अलग होना पडता है। हो सके तो ३ अंक के लोगों को तीन पत्तीवाला बेलपत्र साथ रखना चाहिए और वह बेलपत्र भगवान शंकर पर चढ़ा हो तो अति उत्तम है। सुबह भगवान शंकर की, घर में पूजा कर अथवा मंदिर में जाकर भगवान शंकर की मन से पूजा कर भगवान के लिंग पर बेलपत्र चढाकर, उस चढाए गए बेलपत्र को आंखो तथा छाती से लगाकर श्रद्धापूर्वक साथ रखना, अच्छा होता है।

कोई भी नया कार्य शुरू करने पर उसे पूर्ण होने से पहले ही ये उसे बीच में ही छोड  देते हैं। शांत स्वभाव होने के बावजूद ऐसे लोग जल्दबाज भी होते हैं। ये लोग अच्छे स्वभाव के होते हैं, इसके बावजूद कई बार किसी की परवाह किए बगैर, खरी बात कह देते हैं तथा ये लोग जिद्दी भी होते हैं। शत्रु और मित्र की ऐसे लोगों को पहचान नहीं होती, इस कारण इनके जीवन में गुप्त शत्रु बहुत से होते हैं। इस अंक का स्वामी गुरु होने से ता. ३,१२,२१,३० को पैदा हुए लोगों के लिए रविवार, मंगलवार गुरुवार शुभ है। ऐसे जातक के जीवन में कभी उतार तो कभी चढाव भी दिखायी देता है।

कभी कभी ऐसे लोगों को भारी जोखिम उठाना पड ता है, जिससे लेनदेन में सावधान रहना बहुत जरूरी होता है। ये लोग बुद्धिप्रधान स्वभाव के होते हैं, तथा कला के विषय में रुचि होने पर पारंगत बन सकते हैं। वाद विवाद से इनका मन दुःखी हो जाता है, जिससे मन में थोडी भी शांति नहीं रहती। लापरवाह स्वभाव के होने से इन्हें पैसा बचाकर रखना चाहिए क्योंकि ये लोग खर्च करने पर हजारों रुपये खर्च कर देते हैं। कई बार बुढापे में पैसे की जरूरत पड ने पर इन्हें तकलीफ में जीवन व्यतीत करना पड ता है। यदि हो सके तो इन्हें अच्छे गुरू के नग की अंगूठी पहननी चाहिए।