मूलांक ८ शनि

मूलांक ८ का प्रतिनिधि ग्रह शनि है। जिस जातक का जन्म किसी भी महीने की ८,१७,२६ तारीख को या आठ बनाने वाली तारीख को होता है उस जातक का मूलांक शनि से प्रभावित होते हैं। पाश्चात्य अंक (ज्योतिष) शास्त्री के मतानुसार प्रत्येक वर्ष २३ दिसम्बर से १९ फरवरी तक शनि का विशेष प्रभाव रहता है। इसलिए जो लोग उपर्युक्त समय में जन्म लेते हैं उनके लिए माह फरवरी, मई एवं अगस्त की ८ तारीख या आठ बनाने वाली तारीख शनि से प्रभावित रहता है। जन्म दिनांक आठ होने से जातक का मूलांक आठ बनता है। मूलांक आठ का स्वामी शनिग्रह है। शनि के प्रभाव से ये अपने जीवन में धीरे-धीरे उन्नति प्राप्त करते हैं। व्यवधानों, कठिनाईयों से जूझते हुए सफलता प्राप्त करना इनकी प्रकृति होती है। असफलताओं से ये नहीं घबराते तथा कभी-कभी निराशा के
भाव अवश्य आ जाया करते हैं। आलस्य इनका सबसे बड़ा शत्रु होता है और यही आलस्य इनकी असफलता का कारण होता है। अतः ये किसी भी कार्य को कल पर न टालें तो अच्छा रहेगा। जीवन में शनि ग्रह के प्रभाववश काफी महत्वपूर्ण कार्य करेंगे, जिससे नाम, यश, कीर्ति प्राप्त होगी। इनकी कार्यशैली को हर कोई नहीं समझ पायेगा, इससे इनके विरोधी भी उत्पन्न होंगे। इनके अन्दर दिखावे की प्रवृत्ति कम रहती है, इस कारण इनको कुछ लोग रूखा, शुष्क और कठोर हृदय समझते हैं। जबकि अन्दर से ये काफी भावुक एवं
दयालु हृदय के होते हैं। ये अधिकांश समय में अपने काम से ही मतलब रखते हैं एवं कोशिश होती है कि काम में ही लगे रहें। लेकिन इनके इस व्यवहार के कारण आलोचक भी अधिक होते हैं। इनके अन्दर त्याग की भावना अधिक होती है एवं श्रम में कभी पीछे नहीं रहते। किसी भी कार्य में कितना भी श्रम, त्याग या बलिदान करना पडे ये पीछे नहीं रहते। इसी कारण रुकावटों को पार करते हुये अपनी मंजिल अवश्य प्राप्त करते हैं। शनि प्रभावी व्यक्ति, संघर्षशील एवं परिश्रमी होते हैं तथा विघ्नों को पार करते हुये उन्नति करने के कारण इनको सफलता देर से लेकिन स्थायी प्राप्त होती है।

इस अंक वाले प्राणी बहुत महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, परन्तु लोग इनके साथ सहानुभूति नहीं रखते। अतएव अंक ८ वाले जातक अपने को एकाकी असफल तथा उदासीन माना करते है। इस अंक वाले कोई भी दिखावटी कार्य या बाहरी प्रेम नहीं रखते-क्योंकि बहुत लोग इन्हें, निराश और कठोर समझते हैं। परन्तु वास्तव में ये ऐसे नहीं होते। ये लगन के सच्चे और धुन के पक्के होते हैं। इन्हे अपने कार्य की पूर्णता एवं सफलता का विशेष ध्यान रहता है। इस प्रकार यदि कोई व्यक्ति इनसे शत्रुता भी करे तो ये लापरवाह रहकर अपने अपेक्षित लक्ष्य पर बढ़ते जाते हैं। ये उच्च कोटि के महत्वाकांक्षी होते हैं और उच्च पद की प्राप्ति हेतु अथवा सरकारी नौकरी आदि के लिए, यदि कष्ट उठाना पडे अथवा कोई त्याग करना पडे तो, उसके लिए भी उद्यत रहते हैं।
इनके जीवन में प्रायः बहुत कठिनाइयाँ आती हैं। अतः मूलांक ८ को अच्छा अंक नहीं मानते हैं। इनके लिए अनुकूल दिन शनिवार, रविवार और सोमवार का दिन होता है। इस अंक वालों को कोई नवीन या महत्वपूर्ण कार्य ८,१७,२६,१,१०,१९,२८,४,१३,२२ और ३१ तारीख को करना चाहिए। इनके लिए माह जनवरी अप्रैल मई अगस्त एवं अक्टूबर अनुकूल होता है। उपरोक्त मास सम्बन्धित तारीख शनिवार, बुधवार अथवा सोमवार का दिन पड  जाए तो अमृत-सिद्ध अथवा शुभसूचक योग बन जाता है। जिस दिन किसी भी प्रकार
की नीव डालना, श्री गणेश करना शुभारम्भ करना किसी भी प्रकार का समझौता, एग्रीमेंट या निवेश करना ऐसे समय में सफलता प्रदायक होगा। २३ दिसम्वर से १९ फरवरी तक के समय में शनि का विशेष प्रभाव रहता है।
मूलांक ८ के जातक इन महीनों की ४ एवं ८ तारीख के अतिरिक्त ६ नवम्वर में व्यवहार करके लाभान्वित हो सकते हैं। मूलांक ८ के जातकों को गहरा, भूरा, काला, गहरा नीला, काकरोजी, जामुनी, हरा और सफेद रंग प्रभावशाली एवं शुभ सूचक हैं। इनकी दक्षिण, दक्षिणपूर्व एवं दक्षिणपश्चिम दिशाएँ शुभ एवं लाभादायक तथा उन्नति कारक होती हैं। ऐसे जातकों को जिगर, पित्त और आँखों से सम्बन्धित रोग होने की संभावना रहती है। इसके अतिरिक्त सिरदर्द और गठिया की भी बीमारी होने की आशंका रहती है।

इनके लिए मांसाहार निषेध है, इन्हे शाकाहार में पालक, सर्दियों की हरी सब्जी, गाजर, कदली, चौलाई, आजवायन आदि का अधिकाधिक सेवन करना चाहिए। इनके जीवन के १७,२६,३५,४४,५३ और ६२वाँ वर्ष महत्वपूर्ण परिवर्तन हेतु प्रभावशाली होते हैं। इनके लिए नीलमणी, नीलम, गहरे रंग का नीलम, कालामोती, कालाहीरा अनुकूल एवं भाग्योन्न्ति कारक रत्न होते हैं। इनके
व्यक्तित्व की यह विशेषता है, कि जब किसी के मित्र है तो हर प्रकार से उसकी सहायता करते हैं, परन्तु जब किसी पर क्रोधित हो जाते हैं, तो उसका सर्वनाश करने के लिए उतावले हो जाते हैं। मूलांक ८ का स्वामी शनि, देवता भैरव हैं। इनकी शुभ धातु लोहा, अनुकूल रंग गहरा नीला, काला और काकरोजी है इनकी अनुकूल दिशा पश्चिम और वस्तुयें सरसों, खड्‌ग तेल, तिल एवं काला वस्त्र है। इनके अनुकूल अन्न उड़द, तरल पदार्थ तेल है।
मंत्र ऊँ प्रां प्रीं प्रौ सः शनये नमः एवं जप संखया २३,००० है।
८ का अंक विघटन का अंक है। यह चक्रीय विकास के सिद्धांतों व प्राकृतिक वस्तुओं आध्यात्मीकरण की ओर झुकाव का प्रतीक है। प्रतिक्रिया, क्रांति, जोड -तोड , विघटन, अलगाव, बिखराव, अराजकता के गुण भी इसी अंक से जुडे हैं। यह चोट, क्षति, विभाजन, संबंध विच्छेद का भी परिचायक है। यह श्वसन की अंतःप्रेरणा, अतिबुद्धित्ता, आविष्कारों व अनुसंधानों का प्रतीक है। यह विक्षेपण, सनकी स्वभाव, मार्ग से विचलन, त्रुटि व विक्षिप्तता का भी प्रतीक है।

इन लोगों का स्वभाव सेवाभावी होता है तथा स्नेही और अच्छे मित्र बनाने का शौक होता है। छोटी बात जिसका कोई अर्थ नहीं होता, तो भी उस बात को लेकर ये निराश हो जाते हैं। अच्छा स्वभाव होने के बावजूद ये लोग चालाक भी होते हैं। बहुत से लोग इन लोगों के लिए मतभेद पैदा करते हैं, उनका स्वभाव भी शंकाशील होता है। बहुत खराब बात यह है, कि इन लोगों का घर में छोटी सी भी बात में अपमान हो जाए तो सहन नहीं कर सकते। घर के लोगों के साथ बिगाड़ कर लेते हैं। ये लोग शोध और खोज में विजयी रहते हैं, ये लोग शरीर को थोडा भी कष्ट देने के लिए तैयार नहीं होते, जिससे परिश्रम का कार्य नहीं करते हैं। पैसे के संबंध में इन लोगों को
चिंता करने की जरुरत नहीं होती तथा धंधा या नौकरी में इन लोगों को अच्छा खासा धन मिलता रहता है। मित्रों के साथ अच्छी तरह से जुडे  रहते हैं और मित्रों का विश्वास भी जीत लेते हैं। सट्टा, रेस, पत्ता आदि में ये अच्छा पैसा प्राप्त करते हैं। ये पैसे की बात में अच्छे हिसाबी होने से किफायती भी होते हैं। सुख, शांति के लिए एकांतवास में रहते हुए दिखायी देते हैं। जिससे जब-जब मानसिक स्थिति बराबर न हो तब अकेले घर में बैठे रहते हैं।
बातचीत करने में कुशल होते हैं। तर्क में अच्छे तर्कशास्त्री होते हैं तथा दूसरे को सुख नहीं देते और स्वयं भी सुख नहीं प्राप्त करते। इन लोगों को गरीब और दुःखी के प्रति अच्छी सहानुभूति होती है, जिससे ये लोग उनकी मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं।

आध्यात्मिक विषय इनको बहुत पसंद होता हैं, जिससे उनमें अच्छी धार्मिक मनोवृत्ति देखने को मिलती है इन लोगों को होशियार लोग बहुत पसंद होते हैं। छोटे लोगों के साथ इन लोगों का बर्ताव खराब रहने से उनसे दुश्मनी रहती है। कुदरती सौंदर्य, कला, संगीत के प्रति अच्छी रुचि होती है पर्यटन के अच्छे स्थलों पर घूमने का शौक भी होता है। इन लोगों को शनिदेव की पूजा नित्य करनी चाहिए इन लोगों की समझ में कोई ऐसी वैसी बात आ जाए, तो उसके पीछे सावधानी पूर्वक लग जाते हैं। ऐसे लोगों को उलझनपूर्ण काम मिले तो उसका समाधान कर देते हैं। इन लोगों को मस्तक व जठर और रीढ़ की बीमारी से सावधान रहना चाहिए। कई बार ये लोग चिडचिडा स्वभाव के भी होते हैं। इन लोगों का भाई बहनों से बहुत कम बनता है तथा समाज में भी इनका मेलजोल कम होता है।