बगलामुखी यंत्र

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 श्रीबगला पीताम्बरा को तामसी मानना उचित नहीं, क्योंकि उनके आभिचारिक कृत्यों मे रक्षा की ही प्रधानता होती है और कार्य इसी शक्ति द्वारा होता है। शुक्ल-आयुर्वेद की माध्यंदिन संहिता के पाँचवें अध्याय की 23, 24, 25वीं कण्डिकाओं में अभिचार-कर्मकी निवृत्ति में श्रीबगलामुखी को ही सर्वोत्तम बाताया गया है, अर्थात् शत्रु के विनाश के लिए जो कृत्याविशेष को भूमि में गाड़ देते हैं, उन्हें नष्ट करने वाली वैष्णवी महाशक्ति श्रीबगलामुखी ही हैं।

शत्रुओं को नष्ट करने के लिए पराजित करने के लिए प्रभावित करने के लिए चाहे वह अपरोक्ष हो या परोक्ष यह यंत्र अत्यन्त उपयोगी है अपने बलशाली शत्रुओं को प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य पराजित नहीं कर सकता यद्यपि इस यंत्र द्वारा शत्रुओं पर विजय पायी जा सकती है। और वांछित सफलता प्राप्त हो सकती है। इस यंत्र की अचल प्रतिष्ठा होती है।

यंत्र का उपयोग

इस यंत्र को शुभ मूहुर्त में सम्मुख रखकर जपकर्ता को पीला वस्त्र पहन कर हल्दी की गांठ की माला से जप करना चाहिए। देवी की पूजा और होम में पीले पुष्पों, प्रियंगु कनेर, गेंदा आदि के पुष्पों का प्रयोग करना चाहिए।

इस यंत्र को सम्मुख रखकर मां बगलामुखी का मंत्र छत्तीस हजार की संख्या में जप करने से शत्रुओं का किया गया अभिचार कार्य नष्ट होता है तथा साधक की मनोकामनायें भगवती शीघ्र ही पूर्ण करती है।