ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र प्रतिकूल होने पर प्रत्येक कार्य में असफलता नजर आती है। ऐसी स्थिति में शुक्र यंत्र को चल या अचल प्रतिष्ठा करके धारण करने से अथवा पूजन करने से शुक्र का शीघ्र ही अनुकूल फल प्राप्त होने लगता है। शुक्र यंत्र दो प्रकार के होते हैं। प्रथम नौग्रहों का एक ही यंत्र होता है द्वितीय नौग्रहों का अलग-अलग नौयंत्र होता है। प्रायः दोनों यंत्रों के एक जैसे ही कार्य एवं लाभ होते हैं इस यंत्र को सम्मुख रखकर नौग्रहों की उपासना करने से सभी प्रकार के भयं नष्ट होते हैं शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है व्यापार आदि में सफलता मिलती है समाज उन्नति प्राप्त होती है तथा कार्यो किसी भी प्रकार की बांधा उत्पन्न नहीं होती है। यंत्र का उपयोग शुक्र देव को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के सम्मुख लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए।
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