महामृत्युंजय यंत्र


  यह यंत्र मानव जीवन के लिए अभेद्य कवच है बीमारी अवस्था में एवं दुर्घटना इत्यादि से मृत्यु के भय को यह यंत्र नष्ट करता है। डाक्टर, वैद्य से सफलता न मिलने पर यह यंत्र मनुष्य को मृत्यु से बचाता है। एवं शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा को नष्ट करता है। इसे चल अचल दोनों तरह से प्रतिष्ठित किया जा सकता है।

महामृत्युंजय यंत्र को सम्मुख रखकर रुद्र सूक्त का पाठ करने से अनोखा लाभ होता है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से रुद्रसूक्त के मंत्रों में रश्मि विज्ञान के आधार पर इसमें गूढ़ रहस्य छुपे हैं जिस खोजने के लिए शुद्ध वैज्ञानिक मष्तिष्क् चाहिए। महामृत्युंजय यंत्र उच्चकोटि का दार्शनिक यंत्र है जिसमें जीवन-मृत्यु का रहस्य छिपा हुआ है।

यह स्पष्ट है कि नीलआभायुक्त किरण (न्सजतंअपवसमज तंले) घातक होती है। इसे आधुनिक विज्ञान ने स्वीकार किया है सूर्य की किरणों में सात रंग होते हैं जिसमें बैंगनी रंग की किरण सबसे ज्यादा खतरनाक एवं घातक मानी गयी है। स्टोव-गैस इत्यादि दैनिक प्रयोग की वस्तुओं में भी हम देखते हैं कि अग्नि की ज्वाला जब नीलआभायुक्त होती है तक वह घातक और विषैली हो जाती है।

महामृत्युंजय यंत्र भगवान मृत्युंजय से सम्बन्धित है जिसका शाब्दिक अर्थ स्पष्ट है कि मृत्यु पर विजय इस देवता की आकृति देदीप्यमान है तथा ये नाना रूप धारण करने वाला है यह सब औषधि का स्वामी है तथा वैद्यों में सबसे बड़ा वैद्य है यह अपने उपासकों के पुत्र-पौत्रादि (बच्चों) तक को आरोग्य व दीर्घायु प्रदान करता है। इसके हाथों को ’’मृणयाकु’’ (सुख देने वाला) ’’जलाष’’ (शीतलता, शांति प्रदान करने वाला ) तथा ’’भेषज’’ (आरोग्य प्रदान करने वाला) कहा गया है।