हनुमान यंत्र


Y23.jpg

हनुमान् देवता प्रोक्तः सर्वाभीष्टफलप्रदः।

श्रीहनुमान् जी भगवान् श्रीराम के भक्त हैं। इनका जन्म वायुदेव के अंश से और माता अंजनि के गर्भ से हुआ है। श्रीहनुमान् जी बालब्रह्मचारी महान् वीर अत्यन्त बुद्धिमान्, स्वामिभक्त है।

तदास्य शांस्त्र दास्यामि येन वाग्मि भविष्यति।

न चास्य भविता कश्चिद् सदृशः शास्त्रदर्शने।।

आदि काव्य के अनुसार ब्रह्मा द्वारा प्रेरति होकर श्रीसूर्यदेव ने हनुमान् को अपने तेज का सौवाँ भाग प्रदान करते हुए आशीर्वा दिया कि मैं इन्हें शास्त्र ज्ञान दूँगा। जिससे यह श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्त्र में समता करने वाला कोई नहीं होगा।

यंत्र का उपयोग

हनुमान यंत्र पौरुष को पुष्ट करता हैं पुरुषों की अनेक बीमारियों को नष्ट करने के लिए इसमें अद्भुत शक्ति पायी जाती है जैसे- स्वप्न दोष, रक्त दोष, वीर्य दोष, मूर्छा, धातु रोग, नपुंसकता आदि को नष्ट करने के लिए यह अत्यन्त लाभकारी यंत्र है। इस यंत्र की प्रतिष्ठा चल एवं अचल दोनों प्रकार से की जाती है।

यह यंत्र मनुष्यों को विष, व्याधि, शान्ति, मोहन, मारण, विवाद, स्तम्भन, द्यूत, भूतभय संकट, वशीरकण, युद्ध, राजद्वार, संग्राम एवं चैरादि द्वारा संकट उपस्थित होने पर निश्चित रूप से इष्ट सिद्धि प्रदान करता है।